भारत से सटे समुद्री क्षेत्रों में प्री-मॉनसून सीजन में चिंता बढ़ जाती है, क्योंकि अप्रैल से अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान का सीज़न शुरू हो जाता है। प्री-मॉनसून सीज़न मार्च से शुरू होता है लेकिन चक्रवाती तूफानों का सीज़न अप्रैल से शुरू होता है जिससे मार्च की तुलना में अप्रैल और मई में अधिक चक्रवाती तूफान बनते हैं।
120 वर्षों के इतिहास में मार्च महज़ 4 चक्रवाती तूफान विकसित हुए। इसी तरह अगर अप्रैल और मई की तुलना करें तो अप्रैल से दुगनी संभावना मई में चक्रवाती तूफान बनने की होती है, चाहे वह अरब सागर हो या बंगाल की खाड़ी। भारत से सटे समुद्री क्षेत्रों पर साल 2019 में 9 चक्रवाती तूफान विकसित हुए। इसमें दिसंबर 2019 में आया तूफान पवन साल का आखिरी चक्रवाती तूफान था, जो गुजरात के तटों पर टकराया था।
कब शुरू हुआ तूफानों का नामकरण
भारतीय समुद्री क्षेत्र पर उठने वाले तूफानों के नामकरण की प्रक्रिया शुरू हुई 2004 में। हिंद महासागर क्षेत्र से जुड़े 8 देश भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यानमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाईलैंड ने 2004 में पहली सूची तैयार की थी। इसमें सभी देशों ने 8-8 नाम दिए थे।
Read in English: Cyclonic Storm Amphan to form in the Bay of Bengal soon, may spare Indian coast
अरब सागर पर 30 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच 2004 में आया तूफान भारतीय समुद्री क्षेत्रों पर पहला ऐसा तूफान था जिसे नाम दिया गया। उसका नाम था ‘ओनिल’। इसनेगुजरात के तट पर लैंडफॉल किया था।
8 देशों ने जो 64 नामों की जो सूची 2004 में तैयार की थी इनमें से 63 नामों का अब तक उपयोग हो चुका है। जबकि 64वां नाम आगामी तूफान को दिया जाएगा। यह नाम थाईलैंड ने दिया है और इसे ‘अंफन’ कहा जाएगा। इसके बाद यह 8 देश मिलकर 64 नामों की दूसरी सूची तैयार करेंगे।
इस साल का पहले तूफान का नाम होगा ‘अंफन’
इस बीच साल 2020 के पहले चक्रवाती तूफान के विकसित होने के लिए बंगाल की खाड़ी में स्थितियां अनुकूल बन रही हैं। 28 अप्रैल को उत्तरी अंडमान सागर पर एक चक्रवाती सिस्टम विकसित हुआ। यह सिस्टम प्रभावी होता रहेगा और 29 अप्रैल को क्षेत्र पर निम्न दबाव में तब्दील हो जाएगा। अनुमान है कि उत्तर और पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए यह 1 मई तक डिप्रेशन या डीप डिप्रेशन की शक्ल ले लेगा।
2 मई को यह सिस्टम चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है और उस समय यह बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पूर्वी और दक्षिणी-मध्य भाग पर पहुंच जाएगा। चक्रवाती तूफान बनने के बाद यह सिस्टम उत्तरी दिशा में आगे बढ़ेगा। उसके बाद यह अति भीषण चक्रवात का रूप ले लेगा और संभावना है कि अपनी दिशा परिवर्तित करके म्यानमार या बांग्लादेश की तरफ निकल जाएगा।
मॉडर्न जूलियन ओषिलेशन हिंद महासागर पर 5 मई तक तीसरे चरण में रहेगा। यह कमजोर होता जाएगा लेकिन इसकी जो वर्तमान स्थिति है इससे स्पष्ट है कि यह संभावित चक्रवाती तूफान के विकसित होने में सकारात्मक भूमिका अदा करेगा।
इसके अलावा समुद्र की सतह का तापमान भी पूरी तरह से चक्रवाती तूफान के विकसित होने के अनुकूल है। इस समय हिंद महासागर और इससे अंडमान सागर तथा बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान 30 डिग्री या उससे अधिक है। वर्टिकल विंड शीयर भी बहुत सशक्त नहीं है।
जब यह सिस्टम तूफान बन रहा होगा उस दौरान बंगाल की खाड़ी में द्वीपीय क्षेत्रों में भीषण हवाओं के साथ मूसलाधार वर्षा देखने को मिलेगी। साल 2020 का पहला तूफान तूफान भारत के मुख्य क्षेत्र से दूर से ही पूर्वी दिशा में निकल जाएगा और अनुमान है कि 4 मई को यह म्यानमार तथा बांग्लादेश का रुख करेगा।
Image credit: The Indian Express
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