मॉनसून सीज़न में भी देश में बारिश तभी बढ़ती है जब समुद्री क्षेत्रों की तरफ से सिस्टम देश के मुख्य भागों भाग की तरफ आते हैं। इस समय एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों पर विकसित हो गया है। इस सिस्टम के आसपास जिस तरह के बादल दिखाई दे रहे हैं, उससे अनुमान है कि अगले 24 घंटों में यह सिस्टम प्रभावी होते हुए निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाएगा।
उम्मीद है कि इन मॉनसून सिस्टम का रास्ता भी पिछले सिस्टमों की तरह ओड़ीशा, दक्षिणी छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश होकर गुज़रेगा। इस सिस्टम के दक्षिण और उत्तर में आने वाले क्षेत्र प्रभावित होंगे। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 30 अगस्त से ओड़ीशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश और उत्तरी आंध्र प्रदेश पर इसके चलते बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। इन भागों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है।
Read English Article: LOW PRESSURE AREA TO FORM IN BAY IN 24 HRS, RAIN LIKELY IN MADHYA PRADESH, ODISHA, CHHATTISGARH
उम्मीद है कि 31 अगस्त को यह सिस्टम उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। मॉनसून की अक्षीय रेखा इस समय अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण में बनी हुई है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मॉनसून ट्रफ का पश्चिमी सिरा 31 अगस्त से उत्तर में जाएगा और हिमालय के तराई क्षेत्रों के काफी करीब पहुँच जाएगा। इसी समय निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा।
आमतौर पर इस समय जीतने भी सिस्टम विकसित होते हैं, मॉनसून ट्रफ के साथ-साथ ही चलता है। ऐसे सिस्टमों की क्षमता होती है कि मॉनसून ट्रफ को अपनी तरफ खींच सकें। इसी तरह मॉनसून ट्रफ भी इतनी प्रभावी होती है कि मौसमी सिस्टमों को अपनी ओर आकर्षित कर सके।
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जैसा कि ऊपर अनुमान है कि 31 अगस्त तक मॉनसून ट्रफ हिमालय के तराई क्षेत्रों में पहुँच जाएगी। इसलिए उम्मीद है कि 1 या 2 सितंबर को मध्य प्रदेश को पार और इससे सटे दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तर-पूर्वी राजस्थान को पार करते हुए दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब पर पहुँच सकता है। इससे हमें उम्मीद है कि उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में 2 और 3 सितंबर को अधिकांश स्थानों पर बारिश होगी। कुछ जगहों पर भारी वर्षा के भी आसार हैं।
ना सिर्फ मैदानी इलाकों बल्कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के निचले भागों यानि दक्षिणी शहरों में भी अच्छी बारिश इसी दौरान देखने को मिलेगी। इस सिस्टम के आगे आने के बाद एक अन्य चक्रवाती क्षेत्र बंगाल की खाड़ी में 1 और 2 सितंबर के आसपास विकसित हो सकता है। माना जा रहा है कि यह सिस्टम पश्चिमी राजस्थान में बारिश देने वाला आखिरी सिस्टम हो सकता है। क्योंकि आमतौर पर सितंबर के पहले हफ्ते से मॉनसून की वापसी शुरू हो जाती है।
Image credit: Daily Mail
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