भारत में 2020 में मॉनसून का आगमन सामान्य समय से पहले हुआ। मॉनसून के आने से पहले ही मॉनसून के बारे में मंथन शुरू हो जाता है। संसय और उत्साह का वातावरण पूरे देश में बनने लगता है। चाहे मॉनसून के प्रदर्शन की बात हो या मॉनसून के आगमन की प्रायः कई ऐसे मौसमी परिदृश्य होते हैं जो मॉनसून की रफ्तार को बाधित करते हैं और कई बार प्रदर्शन बिगाड़ देते हैं।
इन मौसमी परिदृश्यों में अल नीनो अधिकतम चुनौतीपूर्ण है। अल नीनो शब्द सुनते ही मॉनसून को लेकर मन में संदेह के बादल मंडराने लगते हैं। अल नीनो एक ऐसा सामुद्रिक पैमाना है जो पूरे मॉनसून की चाल और प्रदर्शन प्रभावित कर सकता है।
वर्ष 2020 के मॉनसून सीज़न में अच्छी खबर है कि अल नीनो का खतरा इस पर फिलहाल नहीं है। उल्लेखनीय है कि मॉनसून की अपनी स्वाभाविक क्षमता एवं चाल भी होती है, और इस साल उसे अपने दम पर ही प्रदर्शन करेगा।
English version: El Nino not a threat, Monsoon 2020 to run on its own steam
अब तक का इतिहास देखें तो अल नीनो या ला नीना आमतौर पर अप्रैल से जून के बीच विकसित होता है और यह अपनी पूरी क्षमता में प्रायः अक्टूबर से फरवरी के बीच में होता है। यह भी उल्लेखनीय है कि आमतौर पर अल नीनो ला नीनो की स्थिति 9 से 12 महीनों के लिए होती है। कभी-कभी 2 साल तक अस्तित्व में बना रहता है। अल नीनो 2 से 7 वर्षों में वापसी करता है। मॉनसून पर अल नीनो के प्रभाव के कारण भारत के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि भारत की खरीफ फसल मुख्य तौर पर वर्षा के पानी पर निर्भर करती है।
प्रशांत महासागर में इस समय स्थितियाँ स्पष्ट रूप से इशारा कर रही हैं कि अल नीनो का प्रभाव नहीं रहेगा। प्रशांत महासागर के पूर्वी और मध्य क्षेत्रों पर जहां, नीनो के होने या ना होने के संकेत मिलते हैं वह क्षेत्र पिछले 8 महीनों तक जरूर गर्म रहा लेकिन उसके बाद समुद्र की सतह के तापमान में गिरावट का रुझान रहा और अब उम्मीद है कि पूरे मॉनसून सीजन में समुद्र की सतह का तापमान नहीं बढ़ेगा। यानी अल नीनो का खतरा मॉनसून पर फिलहाल नहीं है। इस दौरान ला नीना की स्थिति देखने को मिल सकती है, हालांकि यह भी कमजोर ही रहेगा। अल नीनो के अस्तित्व में रहने की संभाव्यता 10% से भी कम है।
पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में सभी 4 नीनो संकेतक कई दिनों से नीचे रहे हैं और पूर्वी क्षेत्र में अभी भी इनमें नकारात्मक रुझान जारी है। नीनो 3.4 अल नीनो/ला नीना की स्थिति तय करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। यह तटस्थ की निर्धारित सीमा -0.5 डिग्री से नीचे 26 महीनों के बाद आया है। इससे पहले 2 अप्रैल 2018 को यह -0.7 डिग्री था।
भारत में साल 2020 का मॉनसून अल नीनो की गिरफ्त से बाहर रहेगा। यहाँ यह भी जानना ज़रूरी है कि इंडियन ओषन डायपोल (आईओडी) सकारात्मक भूमिका में नहीं है, जिसने 2019 में मॉनसून को जमकर सपोर्ट किया था। ऐसे में मॉनसून को अब अपने दम पर आगे बढ़ना है और प्रदर्शन के लिए भी इसे किसी अन्य सामुद्रिक परिस्थिति पर निर्भर नहीं रहना होगा। मॉनसून स्वतः दोनों ओर समुद्री क्षेत्रों में चार महीनों की अवधि में मौसमी सिस्टम विकसित करता रहता है और यही सिस्टम अब इस मॉनसून का भविष्य तय करेंगे।
Image credit: NDTV
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