अल-नीनो मॉनसून 2019 को प्रभावित करता दिखाई दे रहा है क्योंकि फिर से अल-नीनो के सक्रिय होने के संकेत मिल रहे हैं। भूमध्य रेखा के पास समुद्र की सतह का तापमान लगातार दूसरे सप्ताह बढ़ा है। भारतीय मॉनसून के लिए महत्वपूर्ण 3.4 नीनो इंडेक्स क्षेत्र में वर्तमान में समुद्र की सतह का तापमान 0.8 डिग्री सेल्सियस है। मई के दूसरे सप्ताह में समुद्र की सतह का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के आसपास ही बना रहा था, लेकिन उसके बाद से समूचे प्रशांत महासागर के गर्म होने के कारण फिर से तापमान में वृद्धि का रुझान देखा जा रहा है।
प्रशांत महासागर में विभिन्न संकेतकों की वर्तमान स्थिति इस प्रकार है:
मॉनसून 2019 दस्तक देने वाला है, लेकिन अब तक पर्याप्त प्री-मॉनसून वर्षा देखने को नहीं मिली है। हमारा अनुमान है कि दस्तक देने में मॉनसून देरी करेगा और दस्तक देने के समय यह काफी कमजोर भी रहेगा, जो समूचे मॉनसून सीजन पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। इसके लिए पूरी तरह से अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। क्योंकि मौसम से जुड़े ज्यादातर मॉडल मई और जून महीने में अल-नीनो के अस्तित्व में होने की संभावना 70 से 80% दिखा रहे हैं। जबकि मॉनसून के बाकी समय में इसके उपस्थिति की संभावना 55 से 60% के आसपास है। यही नहीं मॉनसून के 4 महीनों जून से सितंबर के बीच समुद्र की सतह का तापमान निर्धारित सीमा या औसत सीमा से ऊपर बना रहेगा।
एनएसओ अल-नीनो सदर्न ओषिलेशन
अल-नीनो को हमेशा सदर्न ओषिलेशन के साथ जोड़कर देखा जाता है और दोनों को साथ में ईएनएसओ कहा जाता है। अल-नीनो सामुद्रिक और वायुमंडलीय परिदृश्य है, जबकि एसओ को सतह का परिदृश्य माना जाता है।
एसओ संकेतक के अंतर्गत पश्चिमी और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र के बीच बड़े पैमाने पर हवा के दबाव में उतार-चढ़ाव का आंकलन किया जाता है।
एसओ अगर नकारात्मक स्थिति में है तो यह संकेत करता है कि मध्य अमरीका के पास पूर्वी प्रशांत में ताहिती में हवा का दबाव सामान्य से कम है जबकि ऑस्ट्रेलिया के पास तिमोर सागर में डार्विन के पास हवा का दबाव सामान्य से ऊपर है। एसओ यानि सदर्न ओषिलेशन का लंबे समय तक नकारात्मक स्थिति में रहना और साथ भूमध्य रेखा के पास पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का गर्म होते रहना अल-नीनो के होने का साफ संकेत है।
वर्तमान समय में समूचे प्रशांत क्षेत्र में यही स्थिति है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार एसओ और अल-नीनो के एक समान रुख का अर्थ है कि वायुमंडल और समुद्र दोनों एक तस्वीर ही तस्वीर दिखा रहे हैं।
एसओ की स्थिति नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं।
मॉनसून 2019 पर प्रभाव
अब अल-नीनो के कमजोर होने के संकेत नहीं मिल रहे हैं, ऐसे में मॉनसून के शुरुआती महीने में इसका सबसे अधिक असर देखने को मिलेगा और बारिश बहुत कम हो सकती है। जून में बेहद कम बारिश की संभावना है। ऐसे में कई इलाकों में सूखे की आशंका भी मौसम वैज्ञानिक जाता रहे हैं। स्काइमेट ने पहले ही जारी किए गए मॉनसून पूर्वानुमान में जून में सामान्य से 23 फीसदी कम 77% बारिश की संभावना जताई थी। अब हमें डर है कि स्थिति कहीं इससे भी खराब ना हो।
इस आंकलन के आधार पर यह तय है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2019 पर अल-नीनो का व्यापक और बुरा असर पड़ने वाला है। मॉनसून 2019 में सामान्य से कम 93% बारिश होने की संभावना है।
देश भर में इस समय प्री-मॉनसून बारिश कम हो गई है। केरल के तटीय भागों में 50% से अधिक स्थानों पर बारिश सामान्य से पीछे चल रही है। आने वाले दिनों में भी बारिश में किसी तरह के सुधार की गुंजाइश दिखाई नहीं दे रही है। क्योंकि कोई सक्रिय मौसमी सिस्टम विकसित नहीं हो रहा है।
फिलहाल मॉनसून की रफ्तार काफी धीमी है और 4 जून या उससे भी 2 दिन की देरी से इसके केरल में दस्तक देने की संभावना है। यानि 2019 में मॉनसून सामान्य समय-1 जून से 4-5 दिन की देरी आएगा।
Image credit: BBC
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