पिछले कई दिनों से प्रशांत महासागर में तापमान लगातार वृद्धि का रुझान दर्शा रहा है। हालांकि कुछ अवसर ऐसे भी आए हैं जब तापमान में मामूली गिरावट देखने को मिली। एल नीनो के बारे में घोषणा करने वाले प्रमुख मापदंड नीनो 3.4 में बीते कुछ दिनों में व्यापक रूप में वृद्धि देखी गई है। हाल के नीनो इंडेक्स में रिकॉर्ड किए गए तापमान नीचे दिए गए टेबल में देख सकते हैं।
नीनो 3.4 क्षेत्र में तीन-तीन महीने के अंतराल पर रिकॉर्ड किया जाने वाला समुद्र की सतह का तापमान जिसे सामुद्रिक नीनो इंडेक्स (ओएनआई) भी कहते हैं, ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि एल नीनो वापसी कर रहा है। एल नीनो तब घोषित किया जाता है, जब तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस के बराबर या उससे अधिक बना रहे।
हाल में तीन ओवरलैपिंग महीनों के पाँच चरणों में दर्ज ओएनआई की वैल्यू मई-जून-जुलाई 2018 की है जो 0.1 डिग्री सेल्सियस है। यानी इसका आखिरी चरण नकारात्मक रहा। तापमान के बढ़ते रुझान के बीच इस साल के आखिर तक एल नीनो के उभरने की संभावना 60 प्रतिशत है। 2017-18 की सर्दियों में इसके उभार के आसार बढ़कर 70 प्रतिशत हो जाते हैं।
जैसा कि पहले भी बताया गया है कि अल नीनो भारत के मॉनसून को व्यापक रूप में प्रभावित करता है। यही नहीं उभरता हुआ अल नीनो भी मॉनसून की राह में रोड़ा बन सकता है। इसकी झलक हमें अभी से मिलने लगी है। मॉनसून वर्षा को उभरता अल-नीनो भी प्रभावित करता हुआ दिखाई दे रहा है। अब तक इस मॉनसून सीजन के तीनों महीने सामान्य से कमज़ोर वर्षा के साथ संपन्न हुए हैं।
जून में सामान्य से 5% कम 95% बारिश हुई। जुलाई में 94% बारिश हुई। इसी तरह अगस्त में भी 94 से 95 प्रतिशत वर्षा की संभावना है। अब मॉनसून का आखिरी महीना शुरु होने वाला है। सितंबर भी का प्रदर्शन कुछ इसी तरह का रहेगा।
डर अभी खत्म नहीं कहा जा सकता क्योंकि मॉनसून आखिरी एक महीना बाकी है और तापमान का रुझान लगातार ऊपर की ओर बना हुआ है। हाल के कुछ दिनों में समुद्र की सतह का तापमान व्यापक रूप में बढ़ा है जिससे सितंबर में मॉनसून पर इसके प्रभाव की प्रबल संभावना है। इस सबके बीच एक आशा की किरण है कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून के खत्म होने के कुछ ही समय बाद उत्तर पूर्वी मानसून शुरू होता है जो इस कमी की कुछ भरपाई कर सकता है।
Image Credit: The NortheastToday
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।