आखिरकार मॉनसून को प्रभावित करने वाला अल नीनो का 3.4 इंडेक्स नीचे आ गया है। इससे पहले अल नीनो का तटस्थ रूप 18 अगस्त 2014 को देखने को मिला था। उसी समय अल नीनो का उभरना शुरू हुआ और बाद में 2014 के मॉनसून को इसने प्रभावित किया। अल नीनो के अंदर इतनी क्षमता है कि यह अपनी शुरुआती अवस्था में भी मॉनसून को खराब कर सकता है।
वर्ष 2014 में भारत में ग्रीष्म ऋतु के दौरान प्रशांत महासागर गर्म होना शुरू हुआ था। 18 अगस्त 2014 का नीनो इंडेक्स (°C में) यहाँ देख सकते हैं:
2014 की ग्रीष्म ऋतु के बाद से नीनो इंडेक्स में लगातार बढ़ोत्तरी का क्रम जारी रहा। हालांकि इसमें 2014 के बीतते तात्कालिक गिरावट देखने को मिली। लेकिन साल 2015 के शुरुआत से पुनः बढ़ोत्तरी का क्रम शुरू हुआ। शुरुआत में यह जहां 0.5°C था वहीं 26 जनवरी को 0.6°C पर पहुँच गया और लगातार बढ़ता ही रहा। 23 नवंबर 2015 को सबसे उच्चतम 3.1°C के स्तर पर पहुँच गया। नीनो इंडेक्स में बढ़ोत्तरी के क्रम को नीचे दिए गए चित्र में आसानी से समझा जा सकता है:
नीनो इंडेक्स में मार्च 2016 से लगातार गिरावट का क्रम दिखाई दे रहा है। इस समय यह घटते हुए -0.1 के स्तर पर पहुँच गया है।
समुद्री सतह के तापमान में गिरावट की ताज़ा स्थिति इस चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं:
प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में कमी से अब यह पर्याप्त ठंडा हो चुका है। समुद्री सतह के तापमान में गिरावट का क्रम इससे पहले ही शुरू हो गया था। यह समय उप सतह के तापमान में गिरावट का है। समुद्र की उप सतह भी बीते 4 हफ्तों से ठंडी हो रही है। भूमध्य सागर के पूर्वी और मध्य में तटस्थ से अधिक तापमान वाली पतली सतह में भी बीते 2 हफ्तों से लगातार कमी आ रही है। अब पूरी तरह तटस्थ स्थिति है। इस बात को नीचे दिए गए चित्र में आसानी से समझा जा सकता है।
दूसरी तरफ ला नीना का प्रभाव शुरू हो गया है और भारत के मॉनसून की अवधि में यह विकसित होता रहेगा। इस बात की 75% संभावना है कि ला नीना अक्टूबर या नवंबर तक विकसित हो जाएगा।
Image credit: Climate Prediction Center
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