मॉनसून की चाल पर असर डालने वाले मौसमी बदलावों को विलेन से कुछ कम नहीं माना जाता। इन्हीं में से एक है अल-नीनो। अल नीनो एक ऐसा कारक है, जो मॉनसून के प्रदर्शन को व्यापक रूप में प्रभावित कर सकता है।
पेरू में तकरीबन 550 साल पहले घटी एक ऐसी घटना के सबूत मिले हैं, जिसे इतिहास में दर्ज दिल-दहला देने वाली घटनाओं में एक माना जा सकता है। यकीनन इसके बारे में जानकर किसी की भी रूह कांप जाएगी।
दक्षिण-पश्चिमी अमरीकी देश 'पेरू', एक छोटा सा देश है, जो अपनी समद्ध संस्कृति और भौगोलिक बनवाट के लिए प्रसिद्ध रहा है। इसी देश में पुरातत्व विभाग को एक खुदाई स्थल से 140 बच्चों के अवशेष मिले हैं। यह खुदाई स्थल पेरू के उत्तरी तटीय क्षेत्र में है। इसी जगह 200 लामा जानवरों के भी अवशेषों का पता चला है। रेडियोकार्बन तकनीक से पता लगाया गया कि ये सभी 1400 और 1450 ईस्वी सन के बीच की घटनाएं हैं।
इससे पहले 2011 में 3500 साल पुराने मंदिर की खुदाई में भी 42 बच्चों और 70 लामा के अवशेषों का पता लगा था। पेरू के इस पुरातत्विक स्थल को 'हुआनचाकिटो-लास लामास' के नाम से भी जाना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मिले अवशेष में लड़के और लड़कियां दोनों थे, जिनकी उम्र महज़ 5 से 14 साल के बीच थी।
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इतना ही नहीं, कंकालों के अध्ययन से यह भी पता चला है कि बच्चों का दिल निकालकर उनकी बलि दी गई थी, जिसके लिए उनकी पसलियों और पेट को काटकर दिल निकाला गया था और उनके सिर को लाल रंग से रंग दिया गया था।
पिछले एक साल से यह खुदाई स्थल फिर से खबरों में है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इन क्रूर सामूहिक हत्याओं के पीछे का कारण अल-नीनो हो सकता है। आपको बता दें कि पेरू का यह पुरातत्विक स्थल 'हुआनचाकिटो-लास लामास', यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट चान चान से आधे मील की दूरी पर ही स्थित है।
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इस पुरातत्विक खोज से पता चला है कि रेत के ऊपर संरक्षित एक मोटी मिट्टी की परत थी जहां इन बच्चों और जानवरों को दफनाया गया था। अगर वैज्ञानिकों की मानें तो सैकड़ों साल पहले कभी पेरु भारी बारिश की विभीषिका झेल रहा था। अल नीनो के कारण प्रशांत महासागर गर्म हो रहा था और पेरु में मौसम तांडव कर रहा था।
चिमू सभ्यता के लोगों को लगा कि मौसम के प्रकोप से बचने के लिए बलि ही एक रास्ता है। इसी अंधविश्वास का शिकार हुए मासूम। जिनका कंकाल देख आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
Image Credit: Phys.org
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