पूर्वोत्तर भारत में पिछले जून महीने में बारिश के वितरण में काफी असमानता रही है। उदाहरण के तौर पर एक ओर जहां जून के आखिर में, बिहार में 28 प्रतिशत वहीं उत्तर प्रदेश में 12 प्रतिशत कम बारिश हुई। पश्चिम बंगाल के उप प्रभागों और हिमालयी पश्चिम बंगाल में मासिक औसत वर्षा में गिरावट दर्ज हुई है।
मगर, जुलाई का महीना इन इलाकों में भारी राहत ले कर आया। महीने की शुरूआत से ही पूर्वी भारत में अच्छी खासी बारिश हुई। बिहार और उसके पड़ोसी राज्य झारखंड में जो शुरूआती दौर में बारिश हुई, वह चक्रवाती दोलन की वज़ह से मुमकिन हो पाई।
पश्चिम बंगाल और उसके आसपास के राज्य उड़ीसा, बिहार और झारखंड में जो इस समय बारिश की संभावना बन रही है वह असल में कम दबाव की वज़ह से है। असल में, चक्रवाती दोलन कम दबाव के साथ मिल कर अपनी गतिशीलता को बरकरार रखे हुए है। जिसके कारण इन इलाकों में बारिश की संभावनाएं बनी हुई है।
बुधवार सुबह 8.30 बजे से ले कर पिछले 24 घंटों में कोलकाता के अलीपुर में 35.8 मिलीमीटर बारिश दजऱ् की गई है। इसी दौरान कोलकाता और दमदम के एडब्ल्यूएस (आॅटोमेटिक वेदर स्टेशन) में क्रमशः 87 और 66 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई है। डायमंड हाॅर्बर और जलपाईगुड़ी में भी अच्छी खासी बारिश हुई है और यह क्रमशः 64.4 और 41.6 मिलीमीटर है।
इस दौरान बिहार के गया जिले में 55 मिलीमीटर बारिश हुई है जबकि सीवान में 15 मिलीमीटर बारिश हुई है। झारखंड के डाल्टेनगंज और रांची में क्रमशः 42 और 15 मिलीमीटर बारिश दर्ज़ की गई है।
पूर्वाेत्तर राज्य उड़ीसा में अच्छी खासी बारिश हुई है। बुधवार सुबह 8.30 बजे से ले कर पिछले 24 घंटे में उड़ीसा के संबलपुर में 65.6 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसी दौरान भवानीपट्टन में 32 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
स्काईमेट से जुड़े मौसम वैज्ञानिक पूर्वी भारत में अगले 48 घंटों में होने वाले मानसून की स्थितियों पर नज़र रखे हुए हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जो तस्वीर सामने आ रही है उसके मुताबिक पहले 24 घंटों के दौरान इन इलाकों में भारी बारिश की संभावना बनी हुई है।
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