जुलाई के शुरुआती दिनों से ही देश के अधिकांश हिस्सों में अच्छी बारिश हो रही है। इस समय पूर्वी और मध्य भारत तथा पश्चिमी तटीय हिस्सों में मॉनसून का सबसे अधिक ज़ोर है। मॉनसूनी बारिश मुख्यतः बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठने वाली नम हवाओं के चलते होती है। कभी कभी मॉनसून का दोनों, पूर्वी और पश्चिमी सिरा एक साथ सक्रिय हो जाता है और अच्छी मॉनसूनी बारिश देता है जबकि कभी कभी एक छोर सक्रिय होता है और दूसरे में सुस्ती देखने को मिलती है। इस दौरान बनने वाले मौसमी सिस्टम भी बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में मॉनसून करंट की वजह से ही विकसित होते हैं।
इस समय बंगाल की खाड़ी की तरफ से मॉनसून अधिक सक्रिय दिखाई दे रहा है। कुछ समय पूर्व बंगाल की खाड़ी में विकसित हुए निम्न दबाव के चलते देश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में अच्छी वर्षा हो रही है। यह सिस्टम अब और प्रभावी होते हुए गहरे निम्न दबाव का रूप ले चुका है। दूसरी तरफ अरब सागर की ओर से मॉनसून को अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है।
कल तक मॉनसून की प्रगति बंगाल की खाड़ी से इसे मिल रही ताकत के चलते हो रही थी। यह सही है कि अरब सागर से मॉनसून के पश्चिमी छोर को पर्याप्त क्षमता नहीं मिल रही है लेकिन अरब सागर से नमी प्राप्त करने के चलते ही मॉनसून की प्रगति गुजरात के कच्छ क्षेत्र तक भी हुई।
इस बीच पश्चिमी प्रशांत महासागर में एक प्रभावी ट्रोपिकल तूफान विकसित हो गया है। यह तूफान सशक्त होते हुए प्रथम श्रेणी का टाइफून बन गया है और अगले 24 घंटों में और प्रभावी होते हुए द्वितीय श्रेणी के टाइफून का रूप ले सकता है।
प्रशांत क्षेत्र में बनने वाला यह इस सीजन का पहला सिस्टम है और संभावना है कि यह भारत में मॉनसून के प्रदर्शन को कमजोर करेगा। बंगाल की खाड़ी से दक्षिण पश्चिम मॉनसून को जो ताकत मिल रही है वो प्रशांत महासागर में बने इस सिस्टम के कारण विभाजित हो जाएगी। बंगाल की खाड़ी से नम हवाओं का प्रवाह यह सिस्टम कुछ समय के लिए अपनी ओर खींच सकता है।
इसके चलते दक्षिण भारत में बारिश बहुत कम होगी। हालांकि मध्य और पूर्वी भारत पर बने गहरे निम्न दबाव के प्रभाव से पूर्वी और मध्य भारत के राज्यों में अच्छी मॉनसूनी वर्षा की गतिविधियां जारी रहेंगी। अगले कुछ समय तक मॉनसून का अधिक ज़ोर इन्हीं भागों में देखने को मिलेगा।
Image credit: Indianexpress
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