उत्तर भारत के मैदानी भागों में इस समय धूल का गुबार देखने को मिल रहा है। एक ओर शुष्क मौसम और प्रचंड गर्मी की मार तो दूसरी ओर धूल का गुबार मौसम को और असहज बना रहा है। राजस्थान से लेकर हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक चल रही तेज़ हवाएँ अपने साथ बड़े पैमाने पर धूल लेकर आ रही हैं जिससे वातावरण काफी धुंधुला हो गया है। दृश्यता भी कम हुई है। राजस्थान के कुछ इलाकों में लू का प्रकोप शुरू हो गया है।
पाकिस्तान के मध्य में एक हीट लो बना हुआ है। पाकिस्तान के मध्य और दक्षिण के कई इलाके 50 डिग्री तापमान के चलते भीषण लू की चपेट में हैं। पाकिस्तान से होकर आने वाली हवाओं के साथ उतार भारत के मैदानी भागों में ना सिर्फ गर्मी आ रही है बल्कि धूल के कण भी भारी मात्रा में हवाओं में घुलकर आ रहे हैं।
स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम जीपी शर्मा के अनुसार प्रेसर ग्रेडिएंट में बड़े अंतर के चलते हवाएँ तेज़ हुई हैं। पाकिस्तान में प्रेसर अधिक है जबकि उत्तर-पश्चिम भारत में प्रेसर बहुत कम है। अधिक प्रेसर वाले क्षेत्रों से कम प्रेसर वाले क्षेत्र में हवाएँ तेज़ी से आती हैं। यही कारण है कि उत्तर-पश्चिम भारत में 30 से 50 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ्तार से हवाएँ चल रही हैं। राजस्थान में अधिकांश स्थानों पर हवा की गति 50 किलोमीटर तक पहुँच रही है। राजस्थान इन तेज़ गर्म और धूलभरी हवाओं से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और राज्य के ऊपर धूल की मोटी चादर तनी हुई है।
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी धूल छाई हुई है। इन सभी भागों में अगले दो-तीन दिनों तक इसी तरह से तेज़ हवाएँ चलती रहेंगी और धूल छाई रहेगी। सुबह और शाम के समय हवा की रफ्तार कम होने से यह धूल और अधिक दिखाई पड़ेगी। धूल की इस चादर के कारण गर्मी और अधिक महसूस हो रही है। खासकर शाम और रात के समय गर्मी अधिक परेशान इसलिए कर रही है क्योंकि धूल की यह चादर ज़मीन की सतह से गर्मी को वायुमंडल में वापस जाने से रोक रही है। इसी कारण 12 जून के मुक़ाबले 13 जून को न्यूनतम तापमान में 2 से 5 डिग्री तक का अंतर देखा गया।
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दिल्ली में आज न्यूनतम तापमान 34 डिग्री रिकॉर्ड किया गया जो कल 30 डिग्री सेल्सियस था। इसी तरह आगरा में कल का 30.4 डिग्री पारा आज 34.3 डिग्री हो गया, रोहतक में 28.8 डिग्री से बढ़कर 33 डिग्री हो गया और हिसार में 28.6 डिग्री से बढ़कर 31.8 डिग्री के स्तर पर पहुँच गया। इन सभी भागों में दिन का तापमान भी सामान्य से 3-4 डिग्री ऊपर चल रहा है।
पाकिस्तान और मध्य-पूर्व एशिया सहित राजस्थान में लंबे समय से बारिश नहीं हुई है। इन भागों में रेगिस्तान की रेत के अलावा धूल के कण भी तेज़ हवाओं के साथ उत्तर भारत तक पहुँच रहे हैं और मैदानी भागों पर छाए हुए हैं। शुरुआत में इन भागों से उठा धूल का गुबार वायुमंडल में 7 से 8 हज़ार फीट ऊपर था और बाद में धूल धीरे-धीरे नीचे आई जिससे वातावरण धुंधला हो गया।
इस धूल में कमी तभी आ सकती है जब हवाओं का रुख बदले या वर्षा हो। जबकि वर्तमान मौसम संकेत दे रहा है कि अगले दो-तीन दिनों तक ऐसा कोई बदलाव अपेक्षित नहीं है जिससे यह धूल का गुबार अगले कुछ दिनों के लिए परेशानी का सबब बना रहेगा। रात और सुबह के समय दृश्यता भी कम होगी। हालांकि रेल या सड़क यातायात पर इसका व्यापक असर नहीं दिखेगा। हवाई जहाज़ों के टेक ऑफ या लैंडिंग में भी इससे बड़ी मुश्किल नहीं आएगी। लेकिन उड़ान भर रहे विमानों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ऊपर धूल के यह कण दृश्यता को व्यापक रूप में कम कर देते हैं।
Image credit: Praveen
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