लंबी प्रतीक्षा के बाद उत्तर भारत के पर्वतीय भागों को एक नया पश्चिमी विक्षोभ सोमवार से प्रभावित करने वाला है जिसके चलते मैदानी राज्यों में भी मौसमी हलचल देखने को मिलेगी। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मध्य पाकिस्तान और उससे सटे राजस्थान तथा हरियाणा के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हुआ है। इसकी मेहरबानी से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और और उत्तरी राजस्थान में कुछ स्थानों पर धूलभरी आँधी चलने और बादलों की गर्जना के साथ हल्की वर्षा होने की संभावना बन रही है। इन भागों में 23 और 24 मई को यह गतिविधियां देखने को मिल सकती हैं।
मौसम में आने वाला यह परिवर्तन तापमान को कुछ नीचे ज़रूर ले जाएगा लेकिन बहुत राहत की अपेक्षा नहीं की जा रही है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि 24 मई से फिर से तापमान बढ़ना शुरू होगा और 28 मई तक 44 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहेगा। हालांकि 29 मई से दिल्ली और आसपास के भागों में प्री-मॉनसूनी गतिविधियां फिर से शुरू होने की संभावना है, जिससे तापमान में 29 और 30 मई से गिरावट दर्ज की जाएगी।
इससे पहले इस सप्ताह की शुरुआत से ही दिल्ली में असामान्य गर्मी पड़ रही है। पालम मौसम केंद्र पर इस सप्ताह पारा बढ़ते हुए 46.4 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। हालांकि बीते 2-3 दिनों में तापमान में हल्की गिरावट दर्ज की गई है। लेकिन दिल्ली वालों को दुर्भाग्यवश तापमान में गिरावट का लाभ नहीं मिल पा रहा है क्योंकि पूर्वी हवाओं के आने से यहाँ के वातावरण में नमी बढ़ गई है जिससे मौसम और असहज हो गया है।
बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवात रोआनू के चलते उत्तर भारत में भी पूर्वी और दक्षिण पूर्वी हवाओं का प्रवाह बढ़ने से ही यहाँ आर्द्रता के स्तर में वृद्धि देखने को मिली। चक्रवात देश के पूर्वी तटों पर काफी समय तक बना रहा और उसने दक्षिण-पूर्वी हवाओं को दिल्ली सहित गंगा के मैदानी भागों तक पहुंचाया।
चक्रवात के कमजोर होने और आगे निकल जाने के बाद अब संभावना है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों में पश्चिमी या दक्षिण पश्चिम से हवा आएगी। यह हवाएँ आमतौर पर शुष्क होती हैं जिससे यहाँ आर्द्रता में कमी आएगी और उमस भरे मौसम से कुछ राहत मिलेगी।
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