उत्तर पश्चित भारत में मॉनसून सबसे आखिर में आता है लेकिन जाता सबसे पहले है। यही कारण है कि उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में मॉनसून वर्षा सबसे कम होती है। हालांकि मॉनसून के आगमन से पहले रुक-रुक कर प्री-मॉनसून वर्षा होती रहती है जो गर्मी से राहत दिलाती है और कुछ हद तक पानी की ज़रूरत भी पूरा करती है। इसी क्रम में शनिवार को हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में तेज़ आँधी-तूफ़ान और बादलों की गर्जना के साथ अच्छी बारिश देखने को मिली।
उत्तर भारत में इस समय कोई सक्रिय मौसमी सिस्टम नहीं है जिससे मौसम शुष्क हो गया है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार हवाओं के रुख में बदलाव आया है। इन भागों में पिछले कुछ दिनों से दक्षिण-पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी आर्द्र हवाएँ प्रभावी थीं जिससे उमस बढ़ गई और पिछले दिनों बारिश भी देखने को मिली। अब उत्तर-पश्चिमी हवाएँ सक्रिय हो गई हैं जो शुष्क और गर्म हैं। गरज और वर्षा वाले बादलों की ताज़ा स्थिति जानने के लिए नीचे दिए गए मैप पर क्लिक करें।
पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अगले दो-तीन दिनों तक मध्यम से तेज़ गति की उत्तर-पश्चिमी हवाएं चलेंगी। यह हवाएँ गर्म और शुष्क होंगी इसलिए अगले कुछ दिनों के दौरान अमृतसर और लुधियाना से लेकर पटियाला, अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र, गुरुग्राम, फरीदाबाद, मथुरा, आगरा, मेरठ, जयपुर और श्रीगंगानगर सहित आसपास के सभी भागों में मौसम शुष्क और गर्म रहेगा और तापमान बढ़ेगा। हालांकि उमस से राहत मिलेगी।
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कह सकते हैं कि तापमान बढ़ेगा जरूर लेकिन पिछले कुछ दिनों के मुक़ाबले मौसम ज्यादा सहज होगा। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक शनिवार को मैदानी राज्यों में हुई बारिश के चलते वातावरण में नमी अभी भी मौजूद है जिससे अधिकांश भागों में शुष्क मौसम के बीच एक-दो स्थानों पर गरज वाले बादल बन सकते हैं और छिटपुट जगहों पर बादलों की गर्जना या आंधी जैसी मौसमी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं। हालांकि यह हलचलें कम समय के लिए और बहुत कम क्षेत्र में ही अपेक्षित हैं।
Image credit: Outlook
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