गुजरात और पश्चिमी राजस्थान के कई जिले सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं। 1 जून से 28 अगस्त के बीच गुजरात क्षेत्र में 47%, सौराष्ट्र और कच्छ में 41% और पश्चिमी राजस्थान में 24% बारिश की कमी है। पूर्वी राजस्थान में भी 3% की कमी बनी हुई है।
लगातार ब्रेक मानसून की स्थिति के परिणामस्वरूप इन राज्यों में वर्षा औसत से बहुत ही कम दर्ज की गई है। जून के दूसरे पखवाड़े से शुरू होकर जुलाई के पहले 10 दिनों तक मानसून विराम की स्थिति में था। दूसरा ब्रेक 9 अगस्त से 18 अगस्त के बीच हुआ। तीसरा ब्रेक बहुत छोटा था और 24 अगस्त से 28 अगस्त के बीच था।
अब एक कम दबाव का क्षेत्र ओडिशा के दक्षिणी तट और आंध्र प्रदेश के निकटवर्ती उत्तरी तट पर विकसित हो गया है। मानसून की अक्षीय रेखा जो हिमालय की तलहटी में थी, वह भी दक्षिण की ओर बढ़ गई है। कम दबाव का क्षेत्र देश के मध्य भागों से होते हुए दक्षिण-पश्चिम मध्य प्रदेश तक जा सकता है। छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, पूर्वी और दक्षिण राजस्थान के साथ-साथ गुजरात के कई जिलों सहित मध्य भारत में एक बार फिर बारिश की गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद है।
गुजरात और राजस्थान में मॉनसून की बारिश शुरू हो सकती है, जिससे लोगों और किसानों को काफी राहत मिलेगी। आगामी वर्षा भले ही बहुत भारी न हो, लेकिन कृषि समुदाय के लिए ये निश्चित रूप से फायदेमंद होंगी। जलाशयों में भी पानी की आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है।