[Hindi] मॉनसून की कमजोरी के बाद सरकारों की बेरुख़ी से परेशान किसान

November 19, 2015 5:11 PM | Skymet Weather Team

भारत में वर्ष 2015 में मॉनसूनी बारिश सामान्य से 14% कम रही है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओड़ीशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मॉनसून की सबसे अधिक बेरुखी इस बार देखने को मिली है।

मॉनसून के दौरान बारिश ना होने से खरीफ फसल पर काफी बुरा असर पड़ा है। कमजोर मॉनसून के चलते खरीफ फसलों खासतौर पर धान की लागत काफी बढ़ गई जिसने किसानों की कमर तोड़ दी है। साथ ही खरीफ फसलों की उत्पादकता भी कम होने की आशंका है। ऐसे में किसानों को केंद्र और राज्य सरकारों से मदद की उम्मीद है। लेकिन कई राज्य सरकारों ने किसानों की समस्याओं को समझने और उनकी मदद करने में उदासीन रवैया अपना रखा है। खबरों के अनुसार बिहार, झारखंड और तेलंगाना ने सूखे के हालत पर अपनी रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को अब तक नहीं सौंपी है।

खरीफ फसलों की कटाई मड़ाई जारी है और रबी फसलों की बुआई कई राज्यों में शुरू हो चुकी है, लेकिन राज्य सरकारों ने सूखे का आंकलन करके केंद्रीय सरकार को स्थिति से अब तक अवगत नहीं कराया है। इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि किसान सरकार द्वारा घोषित राहत के तौर पर मुआवजे से अभी तक वंचित हैं। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक बिहार, झारखंड और तेलंगाना सरकार ने केंद्र को सूखे संबंधी रिपोर्ट नहीं भेजी है। वहीं, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्य हैं जिन्होंने केंद्र को सूखाग्रस्त जिलों की सूची भेजकर सहायता मांगी है।

जिन राज्यों से केंद्र सरकार को रिपोर्ट प्राप्त हो गई है, उन राज्यों में केंद्रीय दल पहुँच कर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। इन राज्यों को केंद्र के आंकलन के बाद जल्द ही सहायता राशि भेजी जाएगी। कर्नाटक सरकार ने अगस्त में ही सूखे संबंधी रिपोर्ट भेज दी थी, जिससे केंद्र ने कर्नाटक को 1541 करोड़ की सहायता राशि भी जारी कर दी है। सूत्रों के अनुसार राज्यों की सूखे की रिपोर्ट हासिल किए बगैर केंद्र की ओर से सहायता राशि जारी नहीं की जा सकती है।

इस बीच आज उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 50 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया। यह घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि इन जिलों में किसानों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार हर संभव मदद करेगी। इसके लिए संबंधित जिलों के ज़िला अधिकारी कार्य योजना तैयार करेंगे।

राज्य सरकार की घोषणा के अनुसार उत्तर प्रदेश के सूखाग्रस्त जिलों में प्रभावित किसानों से 31 मार्च, 2016 तक बचे हुए मुख्य राजस्व बकायों की वसूली नहीं की जाएगी। कृषि ऋण वसूली के लिए किसानों के खिलाफ उत्पीड़न की कार्रवाई नहीं होगी। फसली बीमा कराने पर बीमा कंपनियां भरपाई करेंगी। इसके अलावा विभागीय स्तर पर किसानों की हर तरीके से मदद की जाएगी।

Image Credit: commondreams.org

 

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