फरवरी 2021 बीते 10 वर्षों में सबसे सुखा महीना रहा। एक तरफ जहां जनवरी 2021 में देश भर में सामान्य से 17% ज्यादा वर्षा रिकॉर्ड की गई वहीं दूसरी ओर फरवरी महीने में औसत से कम बारिश दर्ज की गई। जितनी वर्षा पूरे भारत में फरवरी महीने में होती है उससे 60 फ़ीसदी की कम बारिश देखने को मिली। ऐतिहासिक आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में औसतन 23.5 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि इस दौरान मात्र 7.6 मिलीमीटर वर्षा रिकॉर्ड की गई।
फरवरी महीने में सबसे अधिक बारिश वाले क्षेत्र होते हैं उत्तर-पश्चिम भारत और पूर्वोत्तर भारत के राज्य। इन दोनों क्षेत्रों में इस साल फरवरी महीने में बहुत कम बारिश हुई। ज्यादातर जगहों पर ज्यादातर समय मौसम सूखा रहा। उत्तर भारत के बारे में यह कह सकते हैं कि पूरे सर्दी के मौसम में मौसम सूखा रहा। हिमाचल प्रदेश में सामान्य से 70% कम, उत्तराखंड में 56% कम तथा जम्मू कश्मीर और लद्दाख में 45% कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। यही नहीं भारत का सबसे अच्छा कृषि उत्पादक राज्य पंजाब भी पूरे सीजन में सूखा रहा। जहां सामान्य से 72 फीसदी कम वर्षा रिकॉर्ड की गई। दूसरी ओर दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत में तेलंगाना राज्य को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों में अधिकांश स्थानों पर काफी अधिक बारिश इस बार दर्ज की गई।
उत्तर भारत में बारिश में कमी के लिए मुख्यतः पश्चिमी विक्षोभों की कमजोर फ्रीक्वेंसी को जिम्मेदार माना जा सकता है। फरवरी महीने में उत्तर भारत में सबसे अधिक संख्या में पश्चिमी विक्षोभ आते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और फरवरी महीने में मात्र एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आया था जिसके प्रभाव से 4 से 6 फरवरी के बीच उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अधिकांश स्थानों पर वर्षा हुई थी।
उत्तर भारत में पहाड़ों से लेकर मैदानी राज्यों तक तापमान में हो रही बेतहाशा वृद्धि और उम्मीद से अधिक पड़ रही गर्मी के लिए बारिश में इस कमी को भी जिम्मेदार माना जा सकता है। यही सिलसिला आगे भी जारी रहने वाला है। आगामी 10 दिनों के मौसम पूर्वानुमान पर नजर डालें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना फिलहाल नहीं है। यानी इसी तरह का सूखा बरकरार रहेगा और अधिकांश इलाकों में दिन व रात के तापमान समय से पहले औसत से ज्यादा ऊपर बने रहेंगे।
Image credit: The Indian Express
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