राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दीपावली की रात लगातार आतिशबाज़ी से शहर की हवा बुरी तरह से प्रभावित हुई है। दुर्भाग्य से दिल्ली को पूरी दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित शहर होने का गौरव प्राप्त है। उसमें भी 11 नवंबर को दीपों के त्योहार दीपावली की रात भर पटाखों की धूम मची रहने से शहर का वातावरण और दूषित हुआ है और इसके प्रदूषण के स्तर में 23 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।
विश्व गुणवत्ता सूचक यानि वर्ल्ड क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार रात 10 बजे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 547 पर जा पहुंचा जबकि बीजिंग में वर्तमान समय में यह औसतन 190 के स्तर पर बना हुआ है।
दिपावली के अगले दिन दिल्ली के आनंद विहार इलाके में हवा में गुणवत्ता का स्तर 509 रहा। वायु गुणवत्ता प्रणाली, मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान (SAFAR) के अनुसार हवा में मिलने वाले प्रदूषण के कण यानि सस्पेंडेड पर्टिकुलेट मैटर (PMs) काफी भयावह स्तर पर पहुँच गए, जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं और स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। इन्दिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रात 10 बजे मापे गए PM 10 का स्तर प्रति घन मीटर 452 पर रहा। विशेषज्ञों के अनुसार इसका सुरक्षित स्तर 60 से 100 प्रति घन मीटर तक ही है।
PM 2.5 भी सांस संबंधी समस्याओं को काफी ज़्यादा बढ़ा देता है। यह फेफड़ों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। आनंद विहार, नोएडा और दिल्ली विश्वविद्यालय के आसपास दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली के मुक़ाबले प्रदूषण का स्तर काफी अधिक पाया गया। पटाखों के चलते बढ़े प्रदूषण को ध्यान में रखते हुये स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सुझाव है कि दिल और सांस संबंधी परेशानियों का सामना करने वाले मरीज प्रदूषण कम होने तक बाहर खुली हवा में ना निकलें। दूसरी तरफ सच्चाई यह भी है कि दिल्ली में क्षमता से अधिक वाहनों के साथ-साथ अन्य प्रदूषण श्रोतों के चलते राजधानी में हवा की शुद्धता अभी दूर की कौड़ी है।
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