[Hindi] कच्छ की सूखी धरती जल्द बनेगी केसर आम के उत्पादन का केंद्र

March 16, 2019 12:16 PM | Skymet Weather Team

 

कच्छ जो कि अपनी बंजर या सूखी भूमि के लिए जाता है , वह अब 'केसर आम' के लिए एक पसंदीदा जगह बन गया है। हाल ही में, किसानों ने दावा किया है कि भूजल से ड्रिप सिंचाई की विधि से अब कच्छ 'केसर आम' का क्षेत्र बन गया है। किसानों के मुताबिक़, केसर आम के उत्पादन में भूजल से होने वाली ड्रिप सिंचाई की अहम भूमिका है। बता दें कि, ड्रिप सिंचाई नियंत्रित सिंचाई की एक ऐसी विधि है, जिसमें पानी को धीरे-धीरे कई पौधों की जड़ प्रणाली तक पहुंचाया जाता है।

इस समय सौराष्ट्र में 'गिर सोमनाथ' जिले को आम के क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। अगर आंकड़ों के अनुसार देखें तो , 2017-18 के लिए कच्छ में 10,033 हेक्टेयर में हुई आम की उपज में 7% की तीव्र वृद्धि हुई है, जबकि गिर सोमनाथ जिले में 14, 820 हेक्टेयर में आम की कुल उपज में लगभग 6% की वृद्धि हुई है।

पी एम वाघसिया (निदेशक बागवानी, गुजरात सरकार ) ने बताया कि अरंडी जैसी पारंपरिक फसलों से भी ज्यादा कच्छ के किसान आम की खेती कर रहे हैं।

बागवानी विभाग द्वारा जारी किये गए एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कच्छ में आम का उत्पादन आशाजनक रहा है। रिपोर्ट में दिए गए जानकारी के मुताबिक़ 2015-17 में आम की उपज में 91,206 टन का विशाल उछाल देखने को मिला था। वहीं, 2015-16 में गिरावट के साथ यह आंकड़ा 85,240 टन देखा गया था। अफसोस की बात यह है कि 2017-18 में उत्पादन और घटकर 72,739 टन रह गया।

कच्छ के आम के उत्पादकों में से एक किसान, श्री जडेजा ने कहा कि कच्छ के अन्य हिस्सों में पानी की कमी के बावजूद भी वह इस साल बेहतर फसल उत्पादन की उम्मीद करते हैं। ड्रिप सिंचाई के कारण हीं पर्याप्त पानी की समस्या का एक समाधान होगा। साथ हीं उन्होंने यह भी कहा कि जैसे ही नहर नेटवर्क का काम पूरा हो जाएगा, फिर यह सुविधा कच्छ को केसर भूमि बनने की संभावनाओं को बढ़ाने में और मदद करेगा।

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साथ हीं, वह इस तथ्य पर भी विश्वास करते हैं कि, कच्छ क्षेत्र का मध्य भाग जो कि कृषि रसायनों के सीमित सुविधा के साथ अत्यधिक उपजाऊ है। वह केसर आम की खेती के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है। मालूम हो कि ,वर्तमान में गुजरात के मांडवी, मुंद्रा और नखतराना कुछ ऐसे पसंदीदा तालुका हैं जहाँ आम की खेती की जा रही है।

सरकारी अधिकारियों के अनुसार, बीज और खेती के लिए निर्यात सहित सब्सिडी के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और बाजार मूल्य के समर्थन ने हीं ,किसानों को आम की ज्यादा उपज के लिए आकर्षित किया है।

गुजरात का गिर सोमनाथ जो कि आम की उपज में अव्वल था, वहां अब किसानों को जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह से यहां पिछले वर्ष की तुलना में आम उत्पादन पर लगभग 50% तक कमी की आशंका है। वातावरण में नमी बढ़ने और लंबे समय तक ठंडी जलवायु रहने के कारण आम के पेड़ों पर लगे फूल खराब हो गए हैं।

अनुमान है कि जलवायु में परिवर्तन के कारण इस साल आम की उत्पादन कम होगी। अगर सामान्य मौसम में हुए उत्पादन से तुलना करें तो इस बार यह लगभग आधा हो जाएगा। सीमित स्टॉक होने के कारण आम के रेट निश्चित रूप से ज्यादा हो जाएंगे।

Image Credit: Naidunia

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