पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर कम होने लगते हैं और मार्च के महीने में बहुत सक्रिय नहीं होते हैं। हालांकि इस बार सीजन अन्य समय के मुकाबले थोड़ा अलग रहा है।
इस बार पहाड़ियों पर अक्सर पश्चिमी विक्षोभ आये है, लेकिन उनमें से अधिकांश बहुत हल्के थे जिसके परिणामस्वरूप हल्की बारिश या बादल छाए रहे और बहुत अधिक वर्षा गतिविधि नहीं हुए। ऐसे उदाहरण भी आए हैं जब उनमें से एक श्रृंखला ने उपस्थिति दर्ज कराई है, लेकिन वे हल्के पक्ष में थे और केवल पहाड़ियों तक ही सीमित रहे।
नतीजा ये रहा कि मार्च में अब तक ये सभी पहाड़ी इलाके बारिश की कमी की तरफ रहे हैं। वास्तव में, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख में जनवरी के महीने की तुलना में काफी हद तक कमी है। फरवरी में आंकड़ों में गिरावट देखी गई लेकिन मार्च के परिणामस्वरूप पहाड़ियों के लिए अत्यधिक कमी वाले आंकड़े आए।
आज और कल पश्चिमी विक्षोभ है, जिसके परिणामस्वरूप पहाड़ियों पर कुछ बारिश हो सकती है, लेकिन यह मार्च के महीने के लिए कम अंतराल को भरने के लिए पर्याप्त नहीं होगी ।