[Hindi] भारत में कब और क्यूँ बनता है कोहरा? इस बार अब तक रहा गायब

December 2, 2018 9:08 AM | Skymet Weather Team

 

आमतौर पर इस समय तक देश के गंगा के मैदानी इलाकों कोहरे की चपेट में आने शुरू हो जाते हैं। यानि यह कोहरे का सीजन चल रहा है लेकिन कोहरा देखने को नहीं मिल रहा है। कोहरे से मुख्यतः देश के पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के कई शहरों में घना कोहरा आपकी रफ्तार को थाम लेता है।

कोहरे का समय होता है नवंबर से जनवरी तक। कई बार फरवरी महीने तक कोहरा जारी रहता है। इस दौरान कई इलाकों में घना कोहरा देखने को मिलता है। दिसंबर महीने में कोहरा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। कई इलाकों में जन-जीवन ठप हो जाता है। लेकिन नवंबर बीत गया है और दिसम्बर सामने है फिर भी घने कोहरे की झलक अब तक नहीं मिली है।

इससे पहले वर्ष 2017 में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई इलाकों में नवंबर में ही घने कोहरे का आगाज़ हो गया था। इस बीच अनुमान है कि जो हाल नवंबर में था वही अगले 10 दिनों तक बना रहेगा यानि घना कोहरा छाने के लिए स्थितियाँ अनुकूल नहीं बनेगी। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तर भारत के पहाड़ी भागों पर आने वाले पश्चिम विक्षोभ महत्वपूर्ण कारक हैं जिनके चलते देश में कोहरा बनता है।

आमतौर पर जब एक प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ उत्तर के पहाड़ों पर भारी बर्फबारी और बारिश देकर आगे निकलता है तब उत्तर से ठंडी और नमी वाली उत्तर-पश्चिमी हवाएँ उत्तर भारत के साथ-साथ गंगा के मदनी इलाकों में पहुँचती हैं। इससे इन इलाकों के तापमान में भारी गिरावट होती है और प्रकट होता है घना कोहरा। इस बार नवंबर में दो बार प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ आए। जिनसे पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी हुई, लेकिन इससे बड़ा बदलाव मौसम में नहीं हुआ।

विशेषज्ञों के अनुसार, नवंबर महीने में जब सूरज उत्तरायण होता है, पारा गिरने लगता है तभी से कोहरे जैसी स्थितियाँ दिखाई देने लगती हैं। हालांकि इस बार तापमान में अपेक्षित गिरावट नहीं आई और ना ही आर्द्रता अनुकूल स्थिति तक पहुंची, जिससे घना कोहरा नहीं बना। हालांकि असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश यानि पूर्वोत्तर भारत के हिमालय से सटे क्षेत्रों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश के तराई वाले इलाकों और हरियाणा तथा पंजाब के उत्तरी जिलों में हल्के से मध्यम कोहरा कहीं-कहीं पर देखने को मिला है।

कोहरा यूं तो अच्छी मौसमी घटना नहीं है लेकिन लंबे समय तक कोई निश्चित मौसमी घटना का ना होना जलवायु परिवर्तन के खतरे के तौर पर मानी जा सकती है। दूसरी ओर कोहरा सामान्य जन-जीवन को प्रभावित करता है। कोहरे की सबसे ज्यादा रेलगाड़ी से यात्रा करने वाले यात्रियों पर पड़ती है, जब घने कोहरे के कारण हजारों की संख्या में रेल गाड़ियां देरी से चलती हैं।

इसके अलावा अनेकों उड़ाने दृश्यता में कमी आने के चलते रद्द कर दी जाती हैं, विलंब से चलती हैं या उनके मार्ग में परिवर्तन कर दिया जाता है। इससे हवाई जहाज से यात्रा करने वाले यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा घने कोहरे के कारण ही हज़ारों की संख्या में लोग हर वर्ष सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं।

Image credit: INXNews

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