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[Hindi] नोट बंदी से किसानों के सामने नकदी की समस्या, गेंहू की बुआई हो रही है प्रभावित

November 15, 2016 2:27 PM |

punjab-paddy-farmer-daily-mail 600केंद्र सरकार के हाल के नोट बंदी के फैसले के चलते देश में सभी क्षेत्रों की तरह ही कृषि भी प्रभावित हो रही है। 500 रुपए और 1000 रुपये के नोटों को बंद किए जाने से किसानों के सामने प्रमुख रबी फसलों की बुआई को लेकर संकट दिखाई दे रहा है। गेहूं की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। इस वर्ष के अच्छे मॉनसून के चलते खरीफ फसलों की बम्पर पैदावार और भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में व्यापक सुधार की अपेक्षा की जा रही थी लेकिन अधिक मूल्यों वाले पुराने नोटों को बंद किए जाने के सरकार के निर्णय से इस उम्मीद पर पानी फिरता नज़र आ रहा है। नई खरीफ फसलों की भी बिक्री पर ब्रेक लग गई है।

गेहूं की बुआई के लिए समय बहुत कम होता है। धान सहित खरीफ फसलों की कटाई मड़ाई के बाद 20-25 दिनों के भीतर खेतों की जुताई और फसल की बुआई करनी होती है। लेकिन पुराने नोट बंद होने के चलते, दुकानदार उन्हें ले नहीं रहे हैं जिससे बुआई में और विलंब होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बुआई में देरी हो रही है।

दिवाली के बाद से खरीफ फसलों की कटाई और रबी फसलों की बुआई पूरे चरम पर होती है। लेकिन 8 नवंबर की मध्य रात्री से पुराने नोटों के बंद होने के चलते इस पर ब्रेक लग गई है। पंजाब के एक किसान का कहना है कि हमारी कोशिश होती है कि 15 नवंबर तक खरीफ फसलें बेच दें ताकि गेहूं की बुआई की लागत जुटा सकें। उन्होंने बताया कि इस समय बीज़, डीजल और उर्वरकों की सख़्त ज़रूरत होती है जबकि कोई पुराने नोट नहीं ले रहा है जिससे बुआई में परेशानी आ रही है।

खबरों के मुताबिक पंजाब में 10 नवंबर तक गेहूं की लगभग 60 फीसदी बुआई हो चुकी थी जबकि उसके बाद इसमें लगभग पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। पंजाब में 35 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य है और अब तक 22 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई है।

हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में पंजाब के कृषि निदेशक ने बताया कि गेहूं की बुआई का सबसे अच्छा समय 15 नवंबर से पहले का होता है। इसके बाद बुआई का मतलब लगभग 1.5 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से उपज का नुकसान। उन्होंने बताया कि राज्य में प्रति एकड़ 18-20 क्विंटल औसतन गेहूं उत्पादन होता है। नकदी की कमी के चलते मध्य प्रदेश की मंडियों में काम ठप पड़ा है। मध्य प्रदेश के सागर ज़िले के किसान सीताराम का कहना है कि गेहूं के उत्पाद को मंडी में बेचने के लिए यह सबसे पीक समय है लेकिन इस समय हमारे अनाज को कोई लेने को तैयार नहीं है क्योंकि मंडी में नकदी नहीं है।

किसान ही नहीं अन्य कृषि उत्पाद और व्यापारी भी पुराने नोटों को इस समय बंद किए जाने के फैसले से परेशान हैं। श्री सीमेंट के प्रबंध निदेशक एच एम बांगर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सीमेंट की आपूर्ति में 30 प्रतिशत की कमी आई है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लेन-देन नकदी पर आधारित होता है जिसके चलते सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है।

किसानों का एक तबका सरकार के इस निर्णय के साथ है लेकिन अगर अगले कुछ दिनों में नकदी कि उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बढ़ी तो गेहूं की बुआई पर व्यापक असर पड़ेगा जिससे इसके उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। दूसरी ओर इस समय मौसम गेहूं सहित सभी फसलों की बुआई के लिए लगभग सभी राज्यों में अनुकूल है। स्काइमेट के अनुसार अगले एक सप्ताह तक उत्तर भारत के मैदानी भागों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी फसलों की बुआई में मौसम बाधा नहीं बनने वाला है।

Image credit: Daily mail

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