जुलाई और अगस्त के महीने में दिल्ली में सबसे ज्यादा बारिश होती है। वास्तव में, दक्षिणपश्चिम मानसून जून के महीने में शुरू होता है और राजस्थान से मानसून का दौर ख़त्म होने के एक पखवाड़े बाद, यानि सितंबर का महीना ख़त्म होते-होते इसकी विदाई हो जाती है।
आमतौर पर, यह अगस्त का महीना होता है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में सबसे ज्यादा बारिश होती है। हालांकि, इस साल, राष्ट्रीय राजधानी में मौसम के मिज़ाज पर नज़र डालें तो यह बात साफ हो जायेगी की यहां वर्षा की प्रकृति काफी असमान रही है। कुछ इलाकों में काफी तेज बारिश देखने को मिली है जबकि कुछ इलाकों में महज बूंदा-बांदी हुयी है।
कल भी, अलग-अलग जगहों पर कहीं हल्की तो कहीं भारी वर्षा देखने को मिली। बुधवार को सुबह 8:30 बजे से पिछले 24 घंटों के दौरान मुंगेशपुर में 63 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि नज़फगढ़ में 62 मिमी और रिज में 48 मिमी वर्षा हुयी, वहीं पालम में 0.4 मिमी और सफदरजंग 0.3 मिमी की हल्की बारिश दर्ज की गई।
आज भी, सुबह से ही, बारिश ने अपनी मौजूदगी दर्ज करायी और करीब 7:30 बजे के दरमियान तक़रीबन दो घंटे तक बारिश हुयी। इस दौरान शहर के कुछ हिस्सों में भारी बारिश दर्ज की गई।
अब, मध्य भारत पर मौजूद निम्न दबाव का क्षेत्र कमजोर पड़ गया है जिसके कारण मानसून की अक्षीय रेखा उत्तर की ओर बढ़ जाएगी और दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के बहुत करीब चली जाएगी। यह उत्तर दिशा में और आगे बढ़ेगी जिसके परिणामस्वरूप हवाएं विपरीत दिशा से बहना आरंभ होंगी।
इसलिए, दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों में तेज बारिश जारी रहने की उम्मीद है, जबकि कुछ हिस्सों में आज और कल मूसलाधार बारिश हो सकती है। इसके बाद बारिश में कमी आयेगी लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में वर्षा की गतिविधि फिर भी देखने को मिलेगी।
शहर में अब तक 117 मिमी वर्षा हुयी है जबकि आम तौर पर इस महीने में 232.5 मिमी वर्षा होती है। इस प्रकार अगस्त के महीने में शहर में अब तक लगभग आधी बारिश हो चुकी है और अभी लगभग एक सप्ताह का समय ही शेष है, इसलिए ऐसा लगता नहीं है कि दिल्ली अपने मासिक वर्षा औसत को पार कर सकेगी।
Image credit: India.com
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।