दिल्ली और आसपास के इलाकों में बीते कुछ दिनों से घनी धुंध और धुएँ के रूप में प्रदूषण की घनी चादर तनी हुई है। इसके चलते दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई भागों में दृश्यता पर भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है। बृहस्पतिवार को दृश्यता काफी कम रही। पालम मौसम केंद्र पर दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच दृश्यता कम होकर 50 मीटर पर आ गई थी। हालांकि उसके बाद स्थिति में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिला है। नवंबर महीने में दृश्यता का इस स्तर पर आना एक रिकॉर्ड है। बीते कई सालों से नवंबर में इतनी कम दृश्यता कभी नहीं रही।
प्रदूषण रूपी यह धुआँ, धुंध और कुहासा ना सिर्फ सेहत के लिहाज से घातक है बल्कि इसके और भी दुष्परिणाम देखने को मिल रहे हैं। कम दृश्यता के चलते दिल्ली और इसके आसपास के भागों में सड़क यातायात काफी प्रभावित हुआ है। नोएडा से आगरा जाने वाले यमुना एक्स्प्रेस वे पर दृश्यता कम होने के कारण कई सड़क दुर्घटनाओं में अनेक लोग घायल हुए हैं।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार तापमान के नीचे होने, हवा में कमी और अधिक आर्द्रता के चलते यह स्थिति देखने को मिले रही। ऐसी स्थिति में विभिन्न श्रोतों से निकलने वाला धुआँ और अन्य प्रदूषक कण वायुमंडल की निचली सतह पर बने रह जाते हैं और स्मोग के रूप में दिखाई देते हैं।
दिल्ली से सटे हरियाणा और पंजाब में फसलों को जलाए जाने के चलते भी दिल्ली और आसपास के शहरों में सर्दियों के शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर काफी ऊपर पहुँच जाता है। स्काइमेट के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक महेश पालावत के अनुसार जब तक हवा 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवा नहीं चलेगी तब तक यहाँ प्रदूषण में इसी तरह कभी कमी और कभी अधिकता बनी रहेगी। श्री पालावत के अनुसार इस सप्ताह के अंत तक मौसम में कोई विशेष बदलाव अपेक्षित नहीं है इसलिए प्रदूषण का प्रभाव कम से कम इस सप्ताह के अंत तक बना रहेगा।
तेज़ धूप के चलते भी प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आ सकती है लेकिन घनी धुंध के कारण तेज़ धूप की किरणें भी नहीं पहुँच पा रही हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि 6 या 7 नवंबर तक एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर से आगे निकलेगा जिसके बाद हवा की गति बढ़ने और प्रदूषण की स्थिति में कुछ सुधार होने की संभावना है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार बुधवार की सुबह हवा की गुणवत्ता का मापदंड यानि एक्यूआई 494 था जो बेहद ही खतरनाक स्तर का माना जाता है।
Image credit: Financial Express
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