उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी तथा उससे सटे आसपास के क्षेत्रों में एक निम्न दवाब क क्षेत्र बन हुआ था जो कि अब उत्तर दिशा में आगे बढ़ रहा है और ओडिशा कि ओर झुका हुआ है। अगले 24 घंटों में इस सिस्टम के छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के पूर्वी भागों की ओर बढ्ने की संभावना है।
जिसके बाद, यह सिस्टम मध्य प्रदेश मध्य भागों और उससे सटे आसपास के इलाकों को प्रभावित करेगा। साथ ही, इस सिस्टम के मॉनसून की अक्षीय रेखा के साथ मिल जाने की भी संभावना बनी हुई है।
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अगला सिस्टम जो इस कतार में है वह भी एक शक्तिशाली मौसमी प्रणाली है जो फिर से इसी भागों में बनेगी। जिसके कारण इन इलाकों में अच्छी तीव्रता की व्यापक बारिश का अनुमान है। यह मौसमी प्रणाली वास्तव में चक्रवाती तूफान पोदुल का अवशेष है जो इस समय प्रशांत महासागर में विकसित है और 1 सितंबर के आसपास निम्न दबाव वाले क्षेत्र के रूप में इसके बंगाल की उत्तरी खाड़ी में प्रवेश करने की संभावना है।
इस मौसम प्रणाली की वजह से ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के ज़्यादातर क्षेत्रों को प्रभावित होने की काफी संभावना है। इस प्रणाली की रेंज में आने वाले क्षेत्रों में भी अच्छी बारिश देखी जाएगी।
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मॉनसून ट्रफ के साथ मिलने के बाद पर पहले वाली प्रणाली कमजोर हो जाएगी। जिससे उसकी क्षमता कम हो सकती है। हालांकि, इस प्रणाली के अवशेष इसके आसपास के कुछ क्षेत्रों को प्रभावित करते रहेंगे। संभवतः इस प्रणाली को मानसून ट्रफ रेखा के साथ एक चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में देखा जा सकता है। इसका प्रभाव उत्तर-पश्चिम मध्य प्रदेश, उत्तरी राजस्थान और पड़ोसी क्षेत्रों के हिस्सों में अगले 2 दिनों तक देखे जाने की उम्मीद है।
इसके बाद, बंगाल की खाड़ी में चल रही मौसम प्रणाली के कारण तेज और व्यापक बारिश की गतिविधियाँ देखी जाएगी। इसके बनने और भू-भाग में बढ़ने के बाद, सिस्टम का जीवनकाल लगभग पांच दिनों का होगा।
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इसके कारण दिल्ली और एनसीआर में भी 6 और 7 सितंबर के आसपास अच्छी मॉनसून की बारिश देखे जाने की उम्मीद है। इसके अलावा, यह सिस्टम सेम ट्रैक को फॉलो करते हुए मध्य प्रदेश और राजस्थान के उत्तरी भागों में पहुँच जाएगी।
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देश के उत्तर पश्चिमी मैदानी भागों से दक्षिण पश्चिम मानसून 2019 की वापसी का समय नजदीक आ रहा है। एक बार जब वापसी की तारीख नजदीक आ जाती है तो मानसून ट्रफ की अक्षीय रेखा भी कमजोर हो जाती है। 15 सितंबर के बाद, दिल्ली सहित देश के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों को प्रभावित करने वाली कोई भी मौसम प्रणाली शायद ही देखने को मिलेगी। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी से पहले देश के मैदानी इलाकों को प्रभावित करने के लिए संभवतः यह अंतिम मौसम प्रणाली होगी।
Image credit: Washington Post
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