राष्ट्रीय राजधानी फिर से प्रदूषण को लेकर सुर्खियों में है। अभी से बादलों के रूप में धुंध छाने लगी है। प्रदूषण से बचाव के लिए दिल्ली वाले हर वर्ष की तरह मुंह पर कपड़ा बांध कर चलते दिखाई दे रहे हैं। प्रदूषण को फिल्टर करने वाला मास्क भी ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को लगाए देखा जा सकता है। इस प्रदूषण से बचने का उपाय भी यही है। इस प्रदूषण से मौसम का भी संबंध है। आने वाले दिनों में भी दिल्ली के आसमान पर प्रदूषण के बादल छाए रहेंगे।
इस समय राजधानी दिल्ली के पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक प्रदूषण के स्तर में तेज़ी से वृद्धि हुई है। दिल्ली के अलावा नोएडा, गाज़ियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद में भी प्रदूषण तेज़ी से बढ़ा है। दिल्ली की हवाओं की गुणवत्ता आंकड़ों में देखें तो आनंद विहार में स्थिति सबसे ख़राब है। शुक्रवार को 11 बजे आनंद विहार में पीएम 2.5 का सूचकांक 189 पर रहा और पीएम 10 का स्तर 294 तक पहुँच गया। जो बेहद खतरनाक है।
इसी तरह आर के पुरम में पीएम 2.5 का स्तर 265 और पीएम 10 का स्तर 236 रहा। द्वारका में पीएम 2.5 का स्तर 254 रिकॉर्ड किया गया। मंदिर मार्ग पर भी प्रदूषण का स्तर काफी अधिक रहा। यहाँ पीएम 2.5 का सूचकांक 218 और पीएम 10 का स्तर 177 रिकॉर्ड किया गया। फ़रीदाबाद में पीएम 2.5 का सूचकांक 181 रहा। हवाओं में प्रदूषण का यह स्तर स्वस्थ्य के नज़रिये से खतरनाक माना जाता है।
दिल्ली-एनसीआर को अभी प्रदूषण का भयानक रूप देखना बाकी है, क्योंकि सर्दियाँ बढ़ने पर प्रदूषण और बढ़ जाता है। जैसे-जैसे वातावरण में नमी बढ़ेगी दिल्ली का प्रदूषण भी अपने चरम पर होगा। दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के उपायों के क्रम में राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पंजाब और हरियाणा के किसानों से धान की पारली को खेतों में ना जलाने का निर्देश दिया है। किसानों से पारली को निपटाने के ऐसे विकल्पों का चयन करने को कहा गया है जो पर्यावरण के अनुकूल हों। सूप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है।
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पटाखों की बिक्री पर रोक के विरोध में व्यापारियों ने देश की सबसे बड़ी अदालत के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय आज सुनवाई करेगा। इसके अलावा पंजाब और हरियाणा के किसानों का कहना है कि वह फसलों का अवशेष जलाने के बजाए अन्य विकल्प तभी अपना सकते हैं जब उन्हें सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता और संसाधन उपलब्ध कराये जाएं।
Image credit: LiveMint
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