दिल्ली में प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण, एनजीटी ने संबन्धित एजेंसियों को सख़्त कदम उठाने के निर्देश दिए है। एनजीटी ने पाँच राज्यों और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि पराली सहित अन्य फसलों को निपटाने के अन्य विकल्पों की तलाश करें। आदेश में कहा गया है कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और केंद्र सरकार साथ में बैठें और इस मसले का हल निकालें।
न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्देश दिया कि फसलों का अवशेष जलाने की बजाए इसे पावर प्लांट में इस्तेमाल करने के लिए बेहतर मैकेनिज़्म तैयार करें। सभी पक्षों को 28 नवंबर को बैठक करने को कहा गया है। इस बैठक में पांचों संबद्ध राज्यों के कृषि मंत्रालय के मुख्य सचिवों के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव, ऊर्जा मंत्रालय के अपर सचिव, बीएचईएल के वरिष्ठ वैज्ञानिक, नेफेड के प्रबंध निदेशक, एनटीपीसी के मुख्य प्रबंध निदेशक और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होंगे और विचार मंथन करेंगे।
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गौरतलब है कि इससे पहले एनटीपीसी ने एक प्रस्ताव में कहा था कि वह अपने विद्युत उत्पादन संयंत्रों में पारली का इस्तेमाल कर सकता है। एनटीपीसी, पराली को साढ़े 5 हज़ार रुपये प्रति टन की दर से खरीद सकता है। हालांकि एनजीटी में सुनवाई के दौरान एनटीपीसी ने कहा कि फसलों के अवशेष को सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे प्रोसेस करने के बाद संयंत्र में उपयोग में लाया जा सकता है।
एनजीटी ने इस मसले पर सभी पक्षों को जल्द से जल्द किसी विकल्प पर पहुँच कर 6 दिसम्बर से पहले रिपोर्ट देने को कहा है। अधिकरण ने परिवहन की भी उचित नीति तैयार करने को कहा है ताकि प्रदूषण को कम करने में मदद मिले। इस बीच दिल्ली सहित उत्तर भारत में फिर से मौसम प्रदूषण के अनुकूल होने वाला है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में अगले 48 घंटों के बाद हवा कमजोर होगी। इसके चलते अनुमान है कि 27-28 नवंबर से धुंध और कुहासा बढ़ेगा। इस दौरान कुछ स्थानों पर हल्के से मध्यम कोहरा भी छाने का अनुमान है। ऐसे में प्रदूषण के कण और गैसें धुंध में लिपटकर फिर से प्रभावित कर सकते हैं।
Image credit: The Indian Express
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