दिल्ली में सर्दी का मौसम दिल्ली वालों के लिए अपने साथ बड़ी चुनौती लेकर आता है। अक्तूबर से जनवरी के बीच चार महीनों की अवधि में दिल्ली पर घनी धुंध की चादर अक्सर देखने को मिलती है। सभी इस स्थिति को लेकर चिंतित होते हैं लेकिन उपाय भी अक्तूबर आने के बाद ही शुरू होते हैं। तब तक काफी देर हो चुकी होती है। केंद्र और राज्य की सरकारें, दिल्ली नगर निगम, गैर सरकारी संगठन, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और उच्चतम न्यायालय सभी प्रदूषण को लेकर हरकत में आ जाते हैं।
इसी क्रम में सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली में 1 नवंबर तक के लिए पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इस प्रतिबंध के पीछे दिवाली में होने वाली बड़े पैमाने पर आतिशबाज़ी से बढ़ते प्रदूषण को बताया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पंजाब और हरियाणा में धान की फसल को मड़ाई के बाद खेतों में ही जलाने पर रोक लगा दी है। यह अलग बात है कि पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने केंद्र सरकार से इस फैसले पर अमल करने के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की है।
पंजाब के किसानों की चिंता का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि पिराली को जलाने के बजाए खेतों में सड़ाने से किसानों की लागत बढ़ जाएगी। दूसरी ओर सबसे अधिक चर्चा दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक को लेकर है। बड़ी संख्या में लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं वहीं कुछ लोग इसे हिन्दू परम्पराओं, त्योहारों और आस्था पर अदालत का अतिक्रमण बता रहे हैं। दिल्ली में प्रदूषण से जुड़े ताज़ा अपडेट के लिए यहाँ क्लिक करें।
दीपावली से महज़ 10 दिन पहले आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को कई लोग इस तर्क के साथ गलत बता रहे हैं कि इससे छोटे कारोबारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले त्योहारों पर अच्छी दूकानदारी की उम्मीद में अपनी सारी जमा-पूंजी लगा देते हैं, ऐसे में उनके नुकसान को कैसे कम किया जा सकेगा। लोगों का मानना है कि यह फैसला और पहले आता तो बेहतर होता।
दिल्ली की हवाओं में बढ़ते-घटते प्रदूषण में मौसम की सबसे प्रमुख भूमिका होती है। सर्दियों में वातावरण में नमी बढ़ जाती है। जिससे धूल, धुएँ और कार्बनडाई ऑक्साइड सहित प्रदूषण फैलाने वाले कण हवाओं में नीचे ही बने रहते हैं और धुएँ की चादर सी दिखाई देती है। दिल्ली और आसपास के भागों में प्रदूषण उस समय ख़तरनाक स्थिति में पहुँच जाता है जब दक्षिण-पूर्वी नम हवाएँ चलने लगती हैं।
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वर्तमान मौसमी परिदृश्य की अगर बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दक्षिण-पूर्वी हवाएँ चल रही हैं। यही वजह है कि सुबह के समय धुंध दिख रही है। अगले 5-6 दिनों तक हवाओं के रुख में बदलाव की उम्मीद कम है। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फ़रीदाबाद में हवाओं में 16 अक्तूबर से बदलाव आएगा। अनुमान है कि 16 अक्तूबर से उत्तर-पश्चिमी शुष्क हवाएँ चलेंगी जिसके चलते प्रदूषण के स्तर में कमी आएगी। इस बदलाव और पटाखों पर प्रतिबंध के चलते उम्मीद है कि 2017 की दिवाली पर दिल्ली स्वच्छ होगी।
Image credit: The Indian Express
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