दिल्ली में प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वायु प्रदूषण आमतौर पर अक्टूबर से जनवरी तक दिल्ली का दम घोंटता है। वर्ष 2017 के संदर्भ में अक्टूबर में ही व्यापक रूप में ऊपर चला गया प्रदूषण का स्तर दिल्ली वालों के लिए बड़ी चिंता का कारण है। प्रदूषण बढ़ते ही सरकारी एजेंसियां भी हरकत में आती हैं और शुरू हो जाती है कवायद इसको कम करने की।
उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में प्रदूषण की विषम होती स्थिति को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया है जो 1 नवंबर तक लागू रहेगा। गौरतलब है कि दिवाली पर दिल्ली में वायु प्रदूषण बेहद ख़तरनाक स्तर तक पहुँच जाता है। हालांकि इस फैसले की आलोचना भी की जा रही है।
[yuzo_related]
अन्य उपायों में राजधानी दिल्ली में डीज़ल जेनरेटर चलाये जाने पर 15 मार्च, 2017 तक के लिए रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर भी संज्ञान लिया है और ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए कई नियम लागू किए हैं। दिल्ली सरकार ने ध्वनि प्रदूषण पर जुर्माना लगाया है।
दिल्ली के अंतरराज्यीय बस अड्डों में बस का हॉर्न बजाने पर ड्राइवर से 500 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा। इसके अलावा बस अड्डों पर तेज़ आवाज़ में सवारी बुलाने पर भी 100 रपए का जुर्माना देना होगा। तीसरे नए उपाय के तौर पर दिल्ली के दक्षिण में स्थित बदरपुर पावर प्लांट को भी बंद कर दिया गया है। दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, फ़रीदाबाद, गुरुग्राम में निर्माण स्थलों पर ऐसे उपाय करने को कहा गया है जिनसे धूल ना उड़े।
पंजाब, हरियाणा और आसपास के भागों में खेतों में जलायी जाने वाली पराली का धुआँ भी दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण की प्रमुख वजहों में से एक है। इस बार राष्ट्रीय हरित अधिकरण की सख्ती के चलते कई किसान पराली को निपटाने के अन्य उपाय अपना रहे हैं। प्रदूषण को कम करने के उपाय तो कई किए जा रहे हैं फिर भी प्रदूषण है। लोगों को सतर्क रहने की ज़रूरत है।
Image credit: NDTV Profit
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।