दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर लगा बैन भी प्रदूषण को कम कम करने में नाकाम रहा। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार 1 नवंबर तक के लिए पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध था। जबकि आतिशबाजी पर कोई नोक नहीं थी। इसलिए बाजारों में पटाखे भले ही बिकते हुए दिखाई नहीं दिए लेकिन दिल्ली और आसपास के शहरों में आतिशबाजी ने दिवाली का पारंपरिक रंग ज़रूर बिखेरा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर 1 नवंबर तक प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि इसका मकसद यह समझना है कि क्या पटाखों पर रोक लगाने से दिल्ली के प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी आती है। आंकड़े बताते हैं कि 2016 के मुकाबले दिल्ली और आसपास के शहरों में दीपावली के दूसरे दिन प्रदूषण के स्तर में काफी कमी रही लेकिन यह बैन दीपावली के बाद के दिनों में प्रदूषण के स्तर को कम करने में नाकामयाब रहा।
राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण को कम करने के विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जहां सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर रोक लगाई थी वहीं दिल्ली सरकार ने दिल्ली में डीजल से चलने वाले जनरेटर पर 15 मार्च तक के लिए बैन लगा दिया है। इसके अलावा NTPC का बदरपुर पावर प्लांट भी अस्थाई रूप से बंद कर दिया गया है।
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और इससे सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेतों में जलायी जा रही धान की पराली को भी रोकने के उपाय किए गए हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने किसानों से पराली को निपटाने के वैकल्पिक उपाय अपनाने को कहा है ताकि उससे उठने वाला धुआं प्रदूषण के रूप में राष्ट्रीय राजधानी को अपनी चपेट में ना ले।
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इन उपायों के बावजूद दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में सुधार देखने को नहीं मिला है। दिल्ली सरकार के प्रदूषण निगरानी केंद्रों और केंद्र सरकार के प्रदूषण निगरानी केंद्रों के आंकड़ों पर अगर ध्यान दें तो बीते वर्ष के मुकाबले कुछ प्रतिशत प्रदूषण कम है लेकिन अभी भी खतरनाक स्तर पर बना हुआ और सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में आम लोगों को अपने आप को सुरक्षित रखने के ज़रूरी उपाय करने चाहिए।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य के अनुसार दिल्ली और आसपास के शहरों में वातावरण में नमी बनी रहेगी और हवा की गति कम रहेगी जिससे धूल, धुआं सहित प्रदूषण फैलाने वाले अन्य कणों में कमी नहीं आएगी और प्रदूषण हवाओं में नीचे बना रहेगा जो सीधे तौर पर लोगों को प्रभावित करेगा। 22 अक्तूबर को दिल्ली के लोधी रोड में पीएम 2.5, 314 और पीएम 10 का स्तर 366 रहा। पालम हवाई अड्डे पर पीएम 2.5 का 324 और पीएम 10 का स्तर 197 रहा। इसी तरह नोएडा में पीएम 2.5 का स्तर 326 और पीएम 10 का स्तर 201 रहा। यह मान्य स्तर से काफी अधिक है स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
Image credit: The Indian Express
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