दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण हर वर्ष की सर्दियों में चरम पर होता है। मॉनसून ख़त्म होते ही रात के तापमान में गिरावट का सिलसिला शुरू होता है और दिल्ली गैस चेम्बर में तब्दील हो जाती है। सर्दियों में यह प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर के लिए किसी काल से कम नहीं होता है।
प्रदूषण के दो बड़े कारण हैं। पहला वातावरण में नमी का बढ़ना और दूसरा हरियाणा व पंजाब में जलाये जाने वाली फसलों से उठता धुआँ। जब तापमान में कमी आने लगती है तब हवा में नमी बढ़ जाती है और नीचे ही बनी रहती है। हवा तेज़ ना चलने की स्थिति में प्रदूषण के कण साफ नहीं हो पाते बल्कि हवा में निचले स्तर पर ही बने रहते हैं।
प्रदूषण में सोने पे सुहागा का काम करता है पंजाब और हरियाणा में जलायी जाने वाली फसलों से उठने वाला धुआँ। यह धुआँ उत्तर-पश्चिमी हवाओं के साथ दिल्ली-एनसीआर की ओर आता है और दिल्ली वालों की मुश्किलें बढ़ती जाती जाती हैं। अमरीकी अन्तरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा जारी किए गए चित्रों में हरियाणा और पंजाब में धान की पिराली जलाए जाने का खुलासा हुआ है। जबकि उत्तर भारत के सभी राज्यों में जलाए जाने पर प्रतिबंध है।
दिल्ली,नोएडा, गुरुग्राम, गाज़ियाबाद और फ़रीदाबाद में आमतौर पर अक्टूबर के आखिर से दिसंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है। इस बार भी सितंबर के आखिर से ही दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट शुरू हो गई है।
वाहनों से निकला प्रदूषण,निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और कार्बन डाइऑक्साइड सहित अन्य प्रदूषक तत्व अब हवा में नीचे बने रहेंगे। जिससे दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर बढ़ता रहेगा और हवा की गुणवत्ता कम होती रहेगी। दिल्ली के द्वारका, पंजाबी बाग, आनंद विहार, दिल्ली विश्वविद्यालय के अलावा गाज़ियाबाद में इस समय पीएम 10 का स्तर सबसे अधिक बना हुआ है।
अगले तीन महीनों तक गंदी हवा में सांस लेने के लिए मजबूर दिल्ली-एनसीआर के लोग इस प्रदूषण को हल्के में ना लें बल्कि एहतियात बरतें। इससे राहत तेज़ उत्तर-पश्चिमी हवाएँ या फिर बारिश ही दिला पाएगी। और मौसम विशेषज्ञों के अनुसार कम से कम अगले एक सप्ताह तक अच्छी बारिश होने की संभावना फिलहाल नहीं है और ना ही तेज़ हवाएँ चलने की संभावना है क्योंकि जम्मू कश्मीर के पास से एक के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ आ रहे हैं।
इस समय भी दिल्ली और आसपास की फिजाओं में नमी बरकरार है। ऐसे में जब भी हवा की रफ्तार कम होती है या दक्षिण-पूर्व से हवाएँ आती हैं,तब प्रदूषण घना हो जाता है और सुबह शाम के समय धुंध के रूप में दिखाई देने लगता है। इससे विजिबिलिटी काफी कम हो जाती है।
Image credit: The Statesman
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