दिल्ली और आसपास के भागों में जारी सितंबर माह में बारिश बिलकुल नहीं हुई है और सितंबर के शुरुआत से ही मौसम पूरी तरह से सूखा बना हुआ है। दिल्ली और आसपास के भागों में सितंबर में औसतन 120.9 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि इसके उलट 13 सितंबर तक यह आंकड़ा शून्य पर है।
अगस्त के अंतिम सप्ताह से मॉनसून की अक्षीय रेखा हिमालय की तराई वाले भागों में खिसक कर चली गई जिससे राजधानी सहित उत्तर भारत के मैदानी भागों में हवा का रूख बदलकर उत्तर-पश्चिमी हो गया और यहाँ मौसम पूरी तरह से शुष्क हो गया। पंजाब और हरियाणा से भी 8 सितंबर से मॉनसून ने वापसी शुरू कर दी। इसके अलावा इन दिनों में कोई ऐसा प्रभावी पश्चिमी विक्षोभ भी उत्तर भारत में नहीं आया जो दिल्ली और आसपास के भागों को भिगो सके।
सितंबर के शुरुआत से दिल्ली और आसपास के शहरों में पश्चिम दिशा से हवा चल रही थी जिससे इन भागों में अधिक तापमान और खिली तेज़ धूप के बावजूद मौसम सहज बना हुआ था।
इस समय बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इस निम्न दबाव के क्षेत्र से पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक एक ट्रफ बन रही है। जिससे दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में हवा के रूख में बदलाव आ गया और इन भागों पर आर्द्र दक्षिण-पूर्वी हवाएँ बह रही हैं। हवाओं में इस बदलाव ने इन क्षेत्रों के सापेक्षिक आर्द्रता यानि रिलेटिव हयूमीडिटी के स्तर में बढ़ोत्तरी कर दी है। स्काइमेट के अनुमानों के मुताबिक दिल्ली और आसपास के भागों में आने वाले पूरे सप्ताह भर मौसम इसी तरह बना रहेगा।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अगले कुछ दिनों तक मौसम इसी तरह से शुष्क और गर्म बना रहेगा। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस दौरान छिटपुट जगहों पर बारिश भले हो जाए लेकिन यह गतिविधियां बहुत विशेष नहीं होंगी। इससे ऐसी आशंका है कि दिल्ली में बीते वर्ष के सितंबर में हुई 82.66 मिलीमीटर से भी कम बारिश होगी। आशंका इस बात की भी बन रही है कि 2015 का सितंबर दिल्ली के लिए बीते एक दशक में सबसे सूखा सितंबर हो सकता है।
Image Credit: Indiatoday