राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ दिनों की अच्छी बारिश के बाद अब मौसम करवट ले चुका है। ओड़ीशा में बना चक्रवाती तूफान डे मध्य भारत होते हुए उत्तर भारत तक आया था। हालांकि यह कमजोर हो गया था लेकिन इसने दिल्ली-एनसीआर में अच्छी बारिश दी। इसके साथ बंगाल की खाड़ी से दक्षिण-पूर्वी आर्द्र हवाएँ भी आ रही थीं जिसके चलते राजधानी के वातावरण पर धुंध और प्रदूषण छाया हुआ था।
आमतौर पर जब तापमान कम होता है तब धरती के करीब चलने वाली हवा संघनित हो जाती है जिससे धुंध बढ़ जाती है और दृश्यता कम हो जाती है। इसी धुंध के बीच प्रदूषण के कण और धुआँ भी टिक जाता है जिससे प्रदूषण बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
इस समय दिल्ली सहित उत्तर भारत के भागों में कोई मौसमी सिस्टम नहीं है और हवाओं का रुख दक्षिण-पूर्वी से बदलकर उत्तर-पश्चिमी हो गया है। यह हवाएँ शुष्क जिससे दिल्ली की हवाओं से आर्द्रता काफी कम हो गई है। यही कारण है कि आसमान पूरी तरह से साफ हो गया है और धूप काफी तीखी प्रतीत हो रही है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले कुछ दिन इसी तरह से आर्द्रता कम रहेगी और आसमान पूरी तरह से स्वच्छ बना रहेगा। यानि प्रदूषण नहीं दिखाई देगा।
सर्दियों में दिल्ली-एनसीआर में लोगों का साँस लेना दूभर हो जाता है, क्योंकि प्रदूषण चरम पर होता है और राजधानी दुनिया में प्रदूषण के कारण सुर्खियों में बनी रहती है। नवंबर से जनवरी के बीच प्रदूषण इसलिए अधिक दिखाई देता है क्योंकि उस दौरान वातावरण में नमी अधिक होती है। इसमें पंजाब और हरियाणा में जलाकर निपटाई जाने वाली पराली सोने पे सुहागा का काम करती है।
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