राजधानी दिल्ली में नाले का रूप ले चुकी यमुना का जलस्तर आमतौर पर हर वर्ष मॉनसून में बढ़ता है। नदी में अधिक पानी होने और तेज़ बहाव के चलते इसकी प्रकृतिक रूप से कुछ हद तक सफाई हो जाती है। इस बार अब तक नदी के जलस्तर में वृद्धि भले नहीं हुई थी लेकिन रविवार को पानी बढ़ा जिसने आसपास के लोगों को चिंता में डाल दिया। जब बारिश ना हो रही हो और नदी का जलस्तर ऊपर जा रहा हो तो यह दृश्य किसी को भी चौंका सकता है।
दिल्ली में रविवार से यमुना का जलस्तर बढ़ रहा था जिसके चलते सोमवार को यमुना खतरे के निशान के करीब पहुँच गई थी। हरियाणा के यमुनानगर स्थित हथनीकुंड बैराज से छोड़ा गया 1.47 लाख क्यूसेक पानी सोमवार को दिन में दिल्ली पहुंचा और दिल्ली में यमुना के जलस्तर में अचानक वृद्धि हुई। सोमवार दोपहर करीब दो बजे जलस्तर 204.81 मीटर दर्ज किया गया जो खतरे के निशान से महज़ 2 सेंटीमीटर नीचे था। हालांकि शाम से जलस्तर में फिर से गिरावट शुरू हो गई थी और जलस्तर 204.79 मीटर पर आ गया था।
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इस बीच अधिकारियों का कहना है कि जलस्तर बढ़ने से अब तक किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। यदि जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर जाता है तो आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। एहतियात के तौर पर नदी के तटीय भागों से सटी बस्तियों में नावें तैयार रखी हैं। राहत एजेंसियां भी सतर्क हैं।
यमुना नदी के जलस्तर में वृद्धि होने और पानी के खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने से बाटला हाऊस, जैतपुर और अलीपुर के आसपास विकसित अनधिकृत कॉलोनियों में पानी भर जाता है और लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। हालांकि जलस्तर में गिरावट होने से लोगों ने राहत की सांस ली है।
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