दिल्ली में हर साल की तरह ही इस बार भी अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े से प्रदूषण बढ़ने लगा था और कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद ख़राब श्रेणी में पहुँच गया था। सीजन में पहली बार सबसे ज़्यादा प्रदूषण 25 और 26 अक्टूबर को दर्ज किया गया था। उसके बाद से वायु गुणवत्ता लगातार ख़राब बनी हुई थी। नवंबर में हालात और बदले जिससे प्रदूषण बढ़ने लगा। दिवाली के एक दिन पहले यानि 13 नवंबर को इस सीजन का सबसे ज़्यादा प्रदूषण दर्ज किया गया और वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ते हुए कई स्थानों पर 800 से 900 के बीच पहुँच गया।
दिवाली के अगले दिन हुई बारिश ने बदला माहौल
स्काइमेट ने जैसा अनुमान लगाया था, दिवाली के अगले दिन 15 नवंबर को दिल्ली और एनसीआर के शहरों में बारिश हुई। साथ ही राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के भी कई इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। जबकि कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि और तेज़ बारिश की गतिविधियां भी देखने को मिलीं।
इस बारिश ने दिल्ली और एनसीआर समेत उत्तर भारत के विभिन्न शहरों पर छाए घातक प्रदूषण को धो डाला। हवाओं के बदले रुख ने भी इसमें अहम भूमिका अदा की। आमतौर पर दिवाली के अगले दिन से हफ्ते से ज़्यादा समय तक प्रदूषण बेहद ख़तरनाक स्तर पर पहुँच जाता रहा है। यही वजह है कि नवंबर महीने में दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो जाती है।
इस बार सरकारी एजेंसियों की सख़्ती के कारण पटाखों पर प्रतिबंध के चलते आतिशबाज़ी बहुत कम हुई और ऊपर से हुई इस बारिश ने सोने पे सुहागा का काम किया और वायु गुणवत्ता पिछले कई वर्षों में दिवाली के बाद रिकॉर्ड की जाने वाली वायु गुणवत्ता के मुक़ाबले बहुत अच्छी हो गई है। आज वायु गुणवत्ता सूचकांक 125 के सुखद स्तर पर है। ऐसा दिवाली के बाद कम से कम बीत कई वर्षों में देखने को नहीं मिला है।
दिल्ली में पिछले 5 दिनों का AQI
दिनांक | वायु गुणवत्ता सूचकांक |
13 नवंबर, 2020 | 900 |
14 नवंबर, 2020 | 550 |
15 नवंबर, 2020 | 550 |
16 नवंबर, 2020 | 350 |
17 नवंबर, 2020 | 125 |
गौरतलब है कि सर्दियों में दिल्ली और एनसीआर समेत उत्तर भारत के पहाड़ी और मैदानी भागों में बारिश पश्चिमी विक्षोभ के चलते होती है। संयोग से इस सीज़न का पहला सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ 13 नवंबर को आया और पहाड़ों पर मौसम बदल गया। इसके प्रभाव से मैदानी हिस्सों पर एक चक्रवाती सिस्टम विकसित हुआ जिससे 15 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर में अच्छी बारिश दर्ज की गई, जिसने प्रदूषण को साफ कर दिया।
वर्तमान मौसमी परिदृश्य के आधार पर अनुमान है कि अगले दो-तीन दिनों तक दिल्ली के लोग इसी तरह से साफ हवा में सांस ले सकते हैं। उसके बाद फिर से हवाओं का रुख बदलेगा और प्रदूषण में इजाफ़ा होगा।
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