उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में मौसम शुष्क बना हुआ है। बारिश के अभाव में पारा भी सामान्य से ऊपर बना हुआ है जिससे उमस के साथ गर्मी भी परेशानी का सबब बन रही है। इससे पहले अनुमान था कि राजस्थान से होकर मध्य भारत से बंगाल की खाड़ी पहुँच रही मॉनसून की अक्षीय रेखा का पश्चिमी सिरा 24 जुलाई के आसपास ऊपर दिल्ली की तरफ आएगा और उत्तर भारत में बने पश्चिमी विक्षोभ के साथ मिलकर उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में अच्छी मॉनसूनी बारिश देगा। लेकिन मध्य भारत में बनने वाले एक के बाद एक कई मौसमी सिस्टमों के चलते मौसमी परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।
दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान के भागों में एक सप्ताह से मौसम मुख्यतः शुष्क बना हुआ है। हालांकि इन भागों छिटपुट जगहों पर हल्की से मध्य बारिश की गतिविधियां स्थानीय मौसमी हलचलों के चलते हो रही हैं और बारिश वाले भागों में मौसम भी राहत दे रहा है, लेकिन ज़्यादातर इलाके सूखे हैं।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिमी मध्य प्रदेश और इससे सटे पूर्वी राजस्थान के ऊपर पिछले 2 दिनों से बना निम्न दबाव का क्षेत्र और गहरा गया है, इसके प्रभाव से पश्चिमी मध्य प्रदेश पूर्वी राजस्थान और इसके आसपास के भागों में अच्छी मॉनसूनी बारिश दर्ज की जा रही है। स्काइमेट का पूर्वानुमान है कि निम्न दबाव का क्षेत्र अगले 24 घंटों के बाद थोड़ा कमजोर होगा और चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के रूप में दक्षिण पूर्वी राजस्थान की तरफ बढ़ेगा। जिसके प्रभाव से दक्षिण पूर्वी राजस्थान, उससे सटे गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में मॉनसूनी बौछारें दर्ज की जाएंगी।
दिल्ली सहित उत्तर भारत के भागों के लिए पश्चिमी मध्य प्रदेश और राजस्थान के ऊपर बनाए वाले यह मौसमी सिस्टम खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं। क्योंकि इन सिस्टमों के चलते मॉनसून की अक्षीय रेखा मध्य भारत से ऊपर नहीं आ पा रही है और पूर्वी तथा पश्चिमी दिशा से आ रही नम हवाओं को खींच ले रहे हैं जिससे उत्तर के मैदानी राज्यों की बारिश की प्यास अभी बुझ नहीं पा रही है। हालांकि जुलाई के अंत या अगस्त के शुरुआती दिनों में मौसम का वर्तमान परिदृश्य बदल जाएगा, जिससे मॉनसून की अक्षीय रेखा ऊपर उत्तर भारत की तरफ दिल्ली के आसपास पहुंचेगी। उसी दौरान उत्तर भारत के मैदानी राज्यों में मॉनसूनी बारिश दर्ज किए जाने की संभावना है।
Image credit: Dev