दिल्ली-एनसीआर में साल 2019 का सबसे अधिक प्रदूषण 3 नवंबर रिकॉर्ड किया गया था, जब अधिकांश स्थानों पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 1000 के ख़तरनाक स्तर को भी पार कर गया था। हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हुई थी कि लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो गया था। उसके बाद 4 नवंबर से प्रदूषण में 10 नवंबर तक काफी सुधार रहा। यह सब मौसम में बदलाव के कारण देखने को मिला।
कल यानि सोमवार, 11 नवंबर से प्रदूषण के स्तर ने एक बार फिर से दिल्लीवासियों की साँसों पर पहरा लगाना शुरू कर दिया है। अधिकांश स्थानों पर प्रदूषण के स्तर में भारी वृद्धि देखने को मिली।
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मंगलवार, 12 नवंबर को पिछले दिन के मुक़ाबले अधिक प्रदूषण देखने को मिला। फरीदाबाद सेक्टर 2 में AQI बढ़ते हुए 680 तक पहुंचा गया था। गुरुग्राम के सेक्टर 8 में 589, सेक्टर 30 में 575, सेक्टर 18 में 565 पर रिकॉर्ड किया गया। इसी तरह दिल्ली में यमुना विहार में 605, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 579, अशोक विहार में 521 और पशिम विहार में 528 रहा वायु गुणवत्ता सूचकांक।
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पिछले 48 घंटों से हवाओं के हल्के रहने से प्रदूषण बढ़ रहा है क्योंकि हवा की दिशा बदल गई है और रफ्तार भी कम हो गई है। आज सुबह हवाओं की गति 5-10 किमी प्रति घंटे से भी कम थी। हालांकि दोपहर में 1 बजे के बाद हवा की गति बढ़ी थी और धूप का असर भी अधिक हुआ था जिससे प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी। लेकिन यह कमी थोड़े समय के लिए है। इसमें शाम होते-होते फिर से बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, गाज़ियाबाद में लोगों को अगले तीन-चार दिन प्रदूषण से फिर से संघर्ष करना होगा क्योंकि मौसम इस समय प्रदूषण के अनुकूल बन गया है। जम्मू कश्मीर पर 16 नवंबर तक एक के बाद के एक पश्चिमी विक्षोभ बने रहेंगे जिससे दिल्ली-एनसीआर पर आर्द्रता बढ़ेगी। बादल भी छाएंगे और हवा की रफ़्तार काफी कम रहेगी।
16 नवंबर के बाद हवा बदलेगी और इसकी रफ़्तार भी बढ़ेगी तब जाकर अगले कुछ दिनों के दौरान प्रदूषण की आफत से कुछ राहत लोगों को मिलेगी।
Image credit: Hindustan Times
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