उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में मॉनसून एक्सप्रेस लेट हो गई है। पिछले 10 दिन से मॉनसून मध्य भारत में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में जबकि पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल में ठहरा हुआ है। आमतौर पर 15 जून तक मॉनसून बिहार के सभी भागों में पहुँच जाता है। लेकिन 19 जून के बाद भी यहाँ मॉनसून का इंतज़ार बना हुआ है। हालांकि बिहार उन राज्यों में से है जहां अब तक मॉनसून के आने में देरी के बावजूद हल्की प्री-मॉनसून वर्षा हो रही है।
उत्तर प्रदेश में बिहार से अलग कहानी है। मॉनसून नहीं आया है और राज्य में अधिकांश स्थानों पर प्री-मॉनसून वर्षा भी नहीं हो रही है। अभी भी उत्तर प्रदेश को मॉनसून वर्षा के लिए इंतज़ार करना होगा। समान्यतः उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों में 15 जून तक मॉनसून वर्षा की झलक मिलने लगती है और 19 जून तक लखनऊ सहित राज्य के मध्य भागों में भी मॉनसून वर्षा शुरू हो जाती है।
बिहार और उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश भी, देश के प्रमुख कृषि राज्यों में से है और मॉनसून आने में देरी से तीनों राज्यों को संघर्ष करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश में 15 जून तक मॉनसून लगभग सभी भागों में पहुँच जाता है। इसके अलावा 19 जून तक मध्य प्रदेश में सभी स्थानों पर मॉनसून का आगमन हो जाता है। इस बार मॉनसून एक्सप्रेस मध्य प्रदेश में लगभग 10 दिन लेट है।
इससे पहले 28 मई को केरल में मॉनसून आया और महाराष्ट्र तक तेज़ी से आगे बढ़ा। पूर्वोत्तर राज्यों में भी समय से पहले ही मॉनसून ने दस्तक दी। मॉनसून 8 जून तक तेज़ी से आगे बढ़ते हुए पश्चिम बंगाल में बागडोगरा तक पहुँच गया। 8 जून के बाद से पूर्वी भारत में पश्चिम बंगाल में तो मध्य में महाराष्ट्र में ठहरा हुआ है। अनुमान है कि अगले 4-5 दिन तक मॉनसून में प्रगति नहीं होगी। यह अपनी जगह पर स्थिर रहेगा।
क्यों रुका मॉनसून
इससे पहले स्काइमेट ने अपने पूर्वानुमान में बताया था कि मॉनसून समय से पहले आएगा और तेज़ी से आगे बढ़ेगा। अंदाज़ा लगाया था कि अधिकांश भागों में निर्धारित समय से पहले मॉनसून वर्षा शुरू हो जाएगी। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा इसलिए नहीं हो सका क्योंकि पिछले दिनों ईरान और अफगानिस्तान पर एक उच्च दाब बना था जिसके प्रभाव से उत्तर और मध्य भारत में धूल उड़ाती तूफानी हवाएँ चलने लगीं। चार-पाँच दिनों तक प्रभावी यह हवाएँ सतह से लेकर 20 से 25 हज़ार फुट ऊंचाई तक बनी हुई थीं। यह हवाएँ इतनी प्रभावी थीं कि इन्होंने दक्षिण-पश्चिम से या दक्षिण-पूर्व से आने वाली मॉनसूनी हवाओं को रोक दिया।
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इसके अलावा जून में 9 तारीख के बाद ना तो अरब सागर में कोई प्रभावी मौसमी सिस्टम विकसित हुआ और ना ही बंगाल की खाड़ी में कोई ऐसा सिस्टम बना जो मॉनसून की ताकत को बढ़ा सके और उसे आगे बढ़ने में मदद कर सके। यानि पहले से ही कमजोर मॉनसूनी हवाओं को ईरान और अफगानिस्तान से आने वाली तूफानी धूलभरी और शुष्क हवाओं ने आगे से रोक दिया, जिसके चलते उत्तर और मध्य भारत में मॉनसून की अभी भी प्रतीक्षा करनी होगी।
मॉनसून के आगमन में देरी से बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में खरीफ फसलों की बुआई पर असर पड़ रहा है। शुष्क मौसम के कारण खरीफ सीज़न की मुख्य फसल धान के लिए नर्सरी भी तैयार करने में किसानों को दिक्कत आ रही है। अनुमान है कि 24-25 जून से मॉनसून फिर से सक्रिय होगा और ना सिर्फ आगे बढ़ेगा बल्कि बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बारिश भी ज़ोर पकड़ेगी।
Image credit: The Hindu
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