राजस्थान राज्य में बारिश की गतिविधियों ने मानसून की कमी को ख़त्म कर दिया है। जिससे पश्चिम और पूर्वी राजस्थान दोनों उप-मंडल औसत से अधिक बारिश वाले इलाकों की सूची में शामिल होने की ओर अग्रसर है। राजस्थान राज्य जुलाई और अगस्त के मुख्य मानसून महीनों के दौरान एक बड़े सूखे की चपेट में आने की कगार पर था लेकिन सितंबर के महीने में मानसून के निम्न दबाव वाले क्षेत्रों और चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र के कारण स्थितियां सुधर गयी। ये मौसम प्रणालियां राज्य के दोनों उपमंडलों में पर्याप्त वर्षा लाने के लिए राज्य की अंतिम भागों तक पहुंच चुकी हैं।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के देरी से आगमन ने धीमी शुरुआत दी थी जो व्यावहारिक रूप से जुलाई में ठप हो गई थी। अगस्त का महीना पश्चिम राजस्थान के लिए सबसे शुष्क रहा, जिसमें 56% की भारी कमी थी। पूर्वी राजस्थान उस महीने यह आंकड़े कुछ हद तक बेहतर यानि +7% तक पहुँच गया। राज्य में बारिश की कमी ने कई जिलों को भारी सूखे की कगार पर ला खड़ा किया। वहीँ फसलों को सबसे अधिक नुकसान हुआ और इनमें से कुछ फ़सलें बिलकुल ख़त्म होने के कगार पर थीं। सितंबर में देरी से हुई बारिश उस अपूरणीय क्षति की भरपाई भले न कर पाई हो, लेकिन यह गतिविधियां पानी के भंडारण और फसलों के लिहाज से काफी सुखदाई है।
01 जून से 21 सितंबर के बीच मौसमी वर्षा 265.3 मिमी मापी गई है, जो पश्चिमी राजस्थान के लिए सामान्य 259.8 मिमी और पूर्वी राजस्थान में 589.5 मिमी के सामान्य के मुकाबले 647.7 मिमी है। सितंबर के महीने में अब तक पश्चिमी राजस्थान में 33.2 मिलीमीटर के मुकाबले 96.1 मिलीमीटर और पूर्वी राजस्थान में 160.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जबकि 81.6 मिलीमीटर बारिश हुई है। जिससे इन इलाकों में बारिश के आंकड़ों में क्रमशः 200 और 100 प्रतिशत की बढ़त बन गयी है।
वर्ष 2019 तक राज्य से मानसून के अंत की तिथि 01 सितंबर निर्धारित थी। लेकिन 1961-2019 के आंकड़ों के आधार पर इन तिथियों में संशोधन के बाद, इसे 17 सितंबर कर दिया गया जिसकी शुरुआत पश्चिमी राजस्थान से होती है। मानसून का प्रभाव राज्य से पूरी तरह ख़त्म होने में करीब 7-10 दिन का समय लगता है। राज्य के आखिरी पूर्वी हिस्सों से वापसी हमेशा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ मेल खाती है।
बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने वाली मानसून प्रणालियों की श्रृंखला और पश्चिम की ओर पूर्वी राजस्थान, पश्चिम राजस्थान और गुजरात तक आगे बढ़ने से राज्य में मध्यम से तीव्र मौसम गतिविधियों को सक्रिय कर रखा है। इसी कारण से मानसून की वापसी में देरी हुई है। वर्तमान में, पूर्वी राजस्थान क्षेत्र पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। एक अन्य मौसमी सिस्टम छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बानी हुई है, संभावित रूप से अगले 3-4 दिनों में राज्य के अंतिम स्थानों तक विस्तार की प्रतीक्षा कर रही है। ऐसी स्थितयों में मानसून अक्टूबर के पहले सप्ताह तक अलविदा कह सकता है।