भारत जैसे देश में जहां एक बड़ा तबका कृषि पर निर्भर करता है। उसके लिए जून से सितम्बर तक चलने वाले मॉनसून सीजन के दौरान होने वाली बारिश बेहद महत्व रखती है।
इस साल भारत में मॉनसून का बहुत बदला हुआ रूप देखने को मिल रहा है। इस सीजन के दौरान जहां कुछ स्थान सूखे की मार झेल रहे हैं तो वहीं कुछ इलाकों में बाढ़ का प्रकोप देखने को मिल रहा है। मॉनसून सीजन के दौरान, बारिश का समय और स्थान बेहद महत्व रखता है। ऐसे में सभी का ध्यान बारिश की गतिविधियों पर ही लगा हुआ है।
1 जून से 30 सितम्बर तक चलने वाले दीर्घावधि औसत के दौरान सक्रिय या निष्क्रिय मॉनसून की स्थितियां देखने को मिलती हैं। इन चार महीनों के दौरान औसतन 887 मिलीमीटर बारिश देखने को मिलती है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, मॉनसून सीजन की शुरुआत यानि 01 जून को 3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी थी। जबकि जून खत्म होने तक बारिश का यह आंकड़ा बढ़कर 8 मिलीमीटर प्रतिदिन पहुँच गयी थी। वहीं जुलाई के मध्य तक यह आंकड़ा 10 मिलीमीटर प्रतिदिन तक पहुंच जाता है। इसके बाद मध्य अगस्त तक 9 से 10 मिलीमीटर प्रतिदिन की रफ्तार से बारिश होती रहती है।
अगस्त के खत्म होने और मध्य सितम्बर तक बारिश की तीव्रता घटकर 7 मिलीमीटर/दिन हो जाती है। इसके बाद यह आंकड़ा 4 मिमी/दिन हो जाता है।
स्काइमेट में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस मॉनसून सीजन के दौरान जून में 33% कम बारिश दर्ज की गयी। हालांकि जुलाई महीने में बारिश की शुरुआत ठीक-ठाक हुई है। 06 से 12 जुलाई के बीच औसत से अधिक बारिश हुई है, जिससे बारिश में 33 प्रतिशत की कमी घटकर 12 प्रतिशत पहुंच गयी।
इस साल मॉनसून के आगमन में देरी और जून महीने में हुई बारिश की 33% की कमी के अलावा बारिश का सही तरीके से न फैलना भी कृषि के लिहाज़ से परेशानी का सबब बन गया है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, कल यानि 14 जुलाई तक बारिश में दीर्घावधि औसत की 12.5 प्रतिशत की कमी हुई है। जून महीने में यह आंकड़ा 33 प्रतिशत था, जो कि बीते 4 सालों में सबसे ज्यादा रहा है। मॉनसून की इस सुस्ती के चलते गर्मियों में होने वाली फसलों की बुआई प्रभावित हुई है।
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इसके बाद, बीते लगातार तीन दिनों यानि 11, 12 और 13 जुलाई से ब्रेक मॉनसून की स्थिति के कारण बारिश की कमी के आंकड़ों में होने वाला सुधार भी रुका हुआ है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 5 दिनों तक यह स्थिति बनी रहेगी। जो कि बारिश के दीर्घावधि औसत के आंकड़े में पहले से मौजूद कमी को और ज्यादा बढ़ा सकती है। अनुमान है कि कमी का यह आंकड़ा 15 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। वहीं दीर्घावधि औसत के दौरान होने वाली 887 मिलीमीटर बारिश में से अब तक 300 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जा चुकी है।
Image Credit: News Track English
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