पूर्वी-मध्य अरब सागर में विकसित चिन्हित लो प्रेशर एरिया जल्द ही कभी भी तेज हो सकता है। यह एक दुर्लभ मौसम प्रणाली है जो पांच दिनों से अब तक निम्न दबाव क्षेत्र के रूप में ही प्रबल बना हुआ है।
इस समय सब की निगाहें इसी मौसम प्रणाली पर टिकी हुई है क्योंकि यह तट की ओर बढ़ती रहती है। यह प्रणाली पहले एक डिप्रेशन में तेज हो जाएगी और फिर जल्द ही एक चक्रवात का रूप ले लेगी जिसे 'क्यार' नाम दिया जाएगा।
मौसम मॉडल के अनुसार, इस समय यह मौसम प्रणाली व्यापक है, जो जल्द ही एक 'चक्रवात' के रूप में तेज हो सकती है। हालांकि अब तक मॉडल से यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि चक्रवात कब बनेगा। बता दें कि, इस समय यह मौसमी सिस्टम मुंबई से 450 किलोमीटर दूर दक्षिण पश्चिम दिशा में है।
अगले 24 घंटों में सिस्टम के चक्रवात बनने की काफी अधिक संभावना है। यह चक्रवात इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण तूफान लाने की क्षमता को ले जाएगा।
शुरुआत में, यह सिस्टम पूर्वोत्तर दिशा में आगे आगे बढ़ेगा ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि बाद में यह अपना रास्ता उलट सकता है और इसके बजाय पश्चिम दिशा की ओर बढ़ सकता है।
अब तक, चक्रवाती तूफान क्यार का भारतीय मुख्य भूमि पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि, कर्नाटक के पश्चिम तट पर मंगलौर से कारवार के साथ-साथ कोंकण और गोवा के बीच क्यार का प्रभाव महसूस किया जाएगा।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, अगले 48 घंटों तक घने बादल, बारिश, गरज और तेज़ हवाएँ भारतीय मुख्य भू-भाग को प्रभावित करेगी, जिसके बाद धीरे-धीरे खतरा कम होने लगेगा।
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अधिकांश मौसम मॉडल के संकेत के अनुसार यह चक्रवात ओमान तट को प्रभावित करेगा। हालांकि, चक्रवात के कराची तट की ओर बढ़ने की भी थोड़ी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
Image Credits – Navbharat Times
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