भारत में प्री-मॉनसून सीजन मार्च से लेकर जून तक चलता है। इसी समय चक्रवाती तूफान का सीजन भी शुरू हो जाता है। भारत में जून का महीना यूं तो मॉनसून के आगमन का महीना माना जाता है लेकिन यह तो मौसमों में बदलाव का महीना भी होता है। एक तरफ प्री-मॉनसून सीजन खत्म होता है और दूसरी ओर मॉनसून का आगमन होता है।
गौरतलब है कि कई बार जून में चक्रवाती तूफान भी आते हैं। 2010 से 2019 तक पिछले 10 साल के आंकड़े देखें तो अरब सागर में अप्रैल में एक बार भी तूफान विकसित नहीं हुआ। इसी तरह बंगाल की खाड़ी में जून में कोई भी चक्रवाती तूफान नहीं बना। इन 10 वर्षों में मई के महीने में एक समान संख्या में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों जगहों पर 4-4 तूफान बने।
इस एक दशक में चक्रवाती तूफान के सीज़न में सबसे पहले आने वाला चक्रवाती तूफान था मारुथा। हालांकि इसका अस्तित्व बहुत कम समय के लिए था। यह तूफान 2017 में 15 अप्रैल को बना था लेकिन 24 घंटों के अंदर ही इसने अपनी क्षमता खो दी थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वर्टिकल विंडशियर काफी मजबूत थी।
Read in English: Maiden Cyclonic Storm of Pre-Monsoon, Bay of Bengal keeps the date
अप्रैल और मई के पहले हफ्ते में बंगाल की खाड़ी में उठने वाले समुद्री तूफान प्रायः भारत के पूर्वी तटों के पास पहुंचकर अपनी दिशा बदल कर बांग्लादेश या म्यांमार की तरफ चले जाते हैं। साल 2019 में अप्रैल के आखिर में एक प्रभावी चक्रवाती तूफान आया था। इसका नाम फ़ानी था। यह एक तरह से अपवाद था कि इसने ओडिशा के तटों पर लैंडफॉल किया, जहां इसने बड़ी क्षति पहुंचाई।
हालांकि भारत के तटों पर पहुंचने वाले तूफानों के अब तक के इतिहास में सबसे भयानक तूफान 1999 में आया था, जिसने बड़ी तबाही मचाई थी।
इस बीच साल 2020 का पहला चक्रवाती तूफान बंगाल की खाड़ी में उठता हुआ दिखाई दे रहा है। अंडमान सागर पर 27 अप्रैल को एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो सकता है। बहुत ही कम समय में यानी 24 घंटों में यह निम्न दबाव बन जाएगा। इस समय पर्यावरणीय अनुकूलता के चलते 29 अप्रैल को यह डिप्रेशन उसके बाद 30 अप्रैल को डीप-डिप्रेशन बन सकता है।
समुद्र की सतह का गर्म होता तापमान और कमजोर विंड शीयर के चलते 1 मई को साल 2020 का पहला चक्रवाती तूफान अंडमान सागर के उत्तरी भागों पर बन सकता है। इसके प्रभाव से समूचे अंडमान व निकोबार द्वीप समूह पर जबरदस्त तूफानी हवाएं चलने और भीषण बारिश होने की आशंका रहेगी। यह तूफान उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ते हुए बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी-मध्य भागों पर पहुंचेगा।
वर्तमान वायुमंडलीय स्थितियों के अनुसार यह भारत के तटों के करीब पहुंचने से पहले भीषण चक्रवाती तूफान का रूप ले लेगा। हालांकि इस समय तक जो संकेत मिल रहे हैं उसके अनुसार यह अपना रास्ता बदलेगा और म्यांमार या बांग्लादेश के तटीय भागों की तरफ जाएगा।
Image credit: The Hindu
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