बंगाल की खाड़ी में हाल में आए सुपर साइक्लोन ‘अंपन’ के बाद अब अरब सागर में तूफान बनता हुआ दिखाई दे रहा है। केरल के तटों के पास अरब सागर पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हुआ। यही सिस्टम प्रभावी होते हुए 1 जून को डिप्रेशन बन गया और जल्द ही यह सिस्टम तूफान की क्षमता में आ सकता है। इस सिस्टम की लोकेशन 1 जून को दोपहर के समय गोवा से 350 किमी दक्षिण-पश्चिम थी और मुंबई से 650 किमी दक्षिण व दक्षिण-पश्चिम थी। यह सिस्टम भारत के पश्चिमी तटों के साथ-साथ उत्तरी दिशा में आगे बढ़ रहा है और प्रभावी होता जा रहा है। अगले 24 घंटों में इसके तूफान बनने की संभावना है।
अरब सागर में बनने वाले तूफान
अरब सागर में बनने वाले चक्रवाती तूफान आमतौर पर ओमान या यमन का रुख करते हैं। ऐसा बहुत कम ही देखने को मिलता है जब अरब सागर के दक्षिण-पूर्व से कोई सिस्टम विकसित हो और तूफान बने तथा उसका लैंडफॉल गुजरात या महाराष्ट्र के तटों की तरफ हो।
सदी का पहल तूफान जो मुंबई आ रहा
चक्रवाती तूफानों का इतिहास देखें तो पिछले 100 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ जब अरब सागर में विकसित होने वाला कोई चक्रवाती तूफान जून में बना हो और महाराष्ट्र के तटों से टकराया हो। यानि यह एक सदी में पहला ऐसा चक्रवाती तूफान होगा जो अरब सागर में विकसित होने के बाद मुंबई से टकराने जा रहा है।
मुंबई के करीब 3 जून को टकराएगा ‘निसर्ग’
समुद्री क्षेत्र पर एक ट्रफ बना हुआ है जो इस सिस्टम को उत्तर-पूर्वी दिशा में आकर्षित कर रही है और कोंकण के तटों की ओर ले जा रही है। गोवा तक पहुँचने के बाद तूफान थोड़ा और उत्तर-पूर्वी दिशा में बढ़ेगा। अनुमान है कि 3 जून की रात को मुंबई के पास रायगढ़ से दमन के बीच से लैंडफॉल कर सकता है।
तूफान निसर्ग की समुद्री यात्रा बहुत लंबी नहीं होगी जिससे इसके कटेगारी-1 में ही रहने के आसार हैं। अत्यंत तबाही वाला तूफान यह नहीं बनेगा। हालांकि इसके कारण अरब सागर के पूर्वी और मध्य भागों में यानि जहां से यह सिस्टम आगे बढ़ रहा है, वहाँ काफी उथल-पुथल मची हुई है।
समुद्र की सतह का तापमान 30 से 32 डिग्री के बीच चल रहा है, जिससे पर्याप्त मदद इसे मिल रही है। वर्टिकल विंड शीयर इस तूफान के बहुत अनुकूल नहीं है।
एमजेओ की स्थिति
मॉडन जूलियन ओषिलेशन यानि एमजेओ फेज-1 में। यह तूफान को कोंकण क्षेत्र तक पहुँचते समय सामान्य रूप से मदद करता रहेगा। अनुमान है कि एमजेओ जून के मध्य तक अनुकूल स्थिति में रहेगा।
तूफान तटीय कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में 48 घंटों की अवधि के लिए व्यापक बारिश देने वाला है। यह जैसे-जैसे उत्तरी और उत्तर-पूर्वी दिशा में बढ़ता रहेगा कर्नाटक के निचले हिस्सों से बारिश कम होती जाएगी और गोवा तथा महाराष्ट्र के तटों पर बारिश बढ़ती जाएगी। 3 जून को जब यह लैंडफॉल करने के करीब होगा उस समय से लेकर 4 जून के बीच रायगढ़ से लेकर पालघर, दमन व दीव तथा गुजरात के वलसाड और नवसारी समेत आसपास के इलाके व्यापक रूप में प्रभावित होंगे।
तूफान के तटों से टकराने से पहले ही मुंबई, ठाणे और दहानु तथा आसपास के भागों में 60 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से हवाएँ चलेंगी। जिस स्थान पर इसका लैंडफॉल होगा वहाँ हवाओं की रफ्तार कुछ समय के लिए 100 किलोमीटर या उससे भी ऊपर पहुँच सकती है। रायगढ़ से दहानु के बीच 3 और 4 जून को भीषण वर्षा के कारण निचले इलाकों में पानी भर सकता है। कुछ इलाकों में बाढ़ का भी खतरा रहेगा। बिजली के खंबे समेत बिजली का संचार क्षतिग्रस्त हो सकता है। जगह-जगह पेड़ गिरने से रास्ते अवरुद्ध हो सकते हैं। कच्चे मकान और झोपड़े नष्ट हो सकते हैं।
गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान पर भी होगा प्रभाव
तूफान ‘निसर्ग’ के चलते महाराष्ट्र के अंदरूनी इलाकों खासकर मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र, गुजरात, दादरा व नगर हवेली, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान पर भी प्रभाव दिखेगा। इन भागों में 3 जून से 5 जून के बीच अच्छी बारिश हो सकती है।
Image Credit: Skymet
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