अरब सागर में बना डिप्रेशन प्रभावी होते हुए मंगलवार को चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया। एक सप्ताह के भीतर दो चक्रवाती तूफान विकसित होना सामान्य मौसमी घटनाक्रम नहीं है। इस चक्रवाती तूफान को मेकुनु नाम दिया गया है। अपनी धुन में आगे बढ़ रहा है मेकुनु अगले 3-4 दिनों में ओमान और यमन को प्रभावित करेगा। 17 मई को यमन, जिबूती और सोमालिया पहुँचने वाले चक्रवात 'सागर' की तरह ही समुद्री तूफान ‘मेकुनु’ भी मध्य-पूर्व तथा पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्रों को प्रभावित करेगा। हालांकि यह सीधे तौर पर ओमान और यमन के तटों पर पहुंचेगा।
स्काइमेट के वरिष्ठ मौसम विशेषज्ञ एवीएम जीपी शर्मा के अनुसार हिन्द महासागर के उत्तरी भागों पर उठा चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र अनुमान के मुताबिक ही प्रभावी होता गया और शुरुआत में पश्चिमी दिशा में जाने के बाद उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस समय चक्रवात मेकुनु ओमान के सालालाह से 970 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण पूर्व में और सोकोतरा द्वीप से 560 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में है।
फिलहाल अरब सागर में चक्रवात मेकुनु 12 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है और इसके आसपास हवा की गति 70 से 90 किलोमीटर प्रतिघण्टे तक है। अपनी धीमी चाल और लंबी समुद्री यात्रा के चलते इस बात की प्रबल संभवना है कि चक्रवात मेकुनु 24 मई तक भीषण चक्रवात का रूप लेते हुए प्रथम श्रेणी का तूफान बन सकता है। आपको बता दें कि प्रथम श्रेणी के समुद्री तूफान में हवा की रफ्तार 125 किलोमीटर प्रतिघण्टे तक पहुँच जाती है।
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स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का आंकलन है कि 26 मई को ओमान और यमन के तटों पर पहुँचने से पहले यह अति भीषण चक्रवात बन सकता है जिससे हवा की रफ्तार 170 किलोमीटर प्रतिघण्टे तक जा सकती है।
पिछले दिनों की तूफानी हवाओं और बारिश से हुए नुकसान से ओमान और यमन सहित मध्य पूर और पूर्वी अफ्रीकी देश अभी संभले भी नहीं थे कि एक नया चक्रवाती तूफान वह भी अधिक क्षमता के साथ दस्तक देने वाला है। अनुमान है कि चक्रवात मेकुनु 26 मई को सुबह से लेकर शाम के बीच कभी भी उत्तरी यमन और दक्षिणी ओमान के तटों पर हिट करेगा।
तूफान के चलते दोनों देशों में बाढ़ की विभीषिका सहित भारी तबाही की आशंका है। कई स्थानों पर पेड़ गिरने, बिज़ली के खंबे उखड़ने, कमजोर मकानों के क्षतिग्रस्त होने सहित व्यापक नुकसान हो सकता है। इसे देखते हुए प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में आम लोगों को सतर्क रहना चाहिए और प्रशासन को पहले से ही एहतियाती उपाय कर लेने चाहिए ताकि बड़ी तबाही को रोका जा सके।
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