उत्तर पश्चिमी भारत भारी बारिश और ओलावृष्टि की गतिविधियों के लिए एक बार फिर से तैयार है। वास्तव में, कुछ गतिविधियाँ पहले ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली एनसीआर सहित उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में देखी जा चुकी हैं। हालांकि ये आम आदमी को खुश कर सकता है लेकिन ये बारिश किसानों के लिए एक बड़ा झटका ला सकती है।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उससे सटे मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में व्यापक रूप से फ़सल के नुकसान के लिए किसान पहले से ही दुखी हैं।
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो ये बारिश उत्तर पश्चिम भारत में अब तक के मौसमी गतिविधियों में सबसे लंबे समय तक चलने वाली और सबसे भारी होगी।
ओलावृष्टि की गतिविधियों के कारण होने वाली भारी फसल क्षति की अनदेखी नहीं कर सकते। गेहूं, जौ, चावल, ज्वार, बाजरा और मक्का जैसी प्रमुख फसलें इन गतिविधियों का शिकार होंगी।
इन बारिशों का कारण है एक के बाद एक आने वाले पश्चिमी विक्षोभ। इन वेस्टर्न डिस्टर्बेंस में से एक अब दूर जाना शुरू हो गया है और जल्द ही दूसरा वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जम्मू-कश्मीर के ऊपर आ जाएगा। यह प्रणाली पंजाब और हरियाणा के ऊपर हवाओं का चक्रवात भी प्रेरित करेगी। इस प्रकार, पूर्व प्रणाली के कारण, हम उम्मीद करते हैं कि बारिश की गतिविधियां आज निचले स्तर पर रहेंगी। हालाँकि, निकटवर्ती प्रणाली में मौजूद, हम किसी भी लंबे ब्रेक की उम्मीद नहीं करते हैं और जल्द ही बारिश एक बार फिर गती पकड़ेगी।
20 और 21 फरवरी को ये गतिविधियां चरम पर होंगी। दो दिन में पंजाब के तलहटी इलाकों में जैसे जालंधर, होशियारपुर, गुरदासपुर, चंडीगढ़ में तेज आंधी, भारी बारिश और तेज़ ओलावृष्टि की गतिविधियां देखने को मिलेंगी, जो की धीरे धीरे उत्तर हरियाणा के कुछ हिस्सों में भी फैल जाएंगी। बारिश राजस्थान और दिल्ली-एनसीआर के कुछ हिस्सों को भी कवर करेगी।
22 फरवरी तक, यह प्रणाली पूर्व दिशाओं में बढ़ना शुरू कर देंगी। इसके कारण, इस क्षेत्र में बारिश कम हो जाएगी, लेकिन सिस्टम के अवशेष पंजाब और हरियाणा की तलहटी इलांकों में कुछ और समय तक हल्की बारिश जारी रख सकते हैं।
23 फरवरी तक, हम देश के उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों के साफ मौसम देख सकते हैं। इसके अलावा, इन सभी गतिविधियों के मद्देनजर, न्यूनतम न्यूनतम तापमान में कोई बड़ी गिरावट नहीं देखी जाएगी और ये दोहरे अंकों में ही जारी रहेंगे।
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