उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों पर जब मौसमी हलचल बंद हो जाती है और उत्तर पश्चिमी हवाएं चलने लगती हैं तब पंजाब से लेकर हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान यहां तक कि गुजरात के अधिकांश इलाके उन सर्द हवाओं से प्रभावित होते हैं और उम्मीद से अधिक सर्दी देखने को मिलती है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार भी इन सर्द हवाओं की चपेट में आते हैं। यह उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी हवाएं अपने साथ पहाड़ों पर हुई बर्फबारी की ठंडक लेकर आती हैं जिसके चलते मध्य भारत तक मैदानी क्षेत्रों में ज्यादातर शहरों का तापमान सामान्य से काफी नीचे चला जाता है और लोगों को कड़ाके की ठंड के प्रकोप का सामना करना पड़ता है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2021 का गणतंत्र दिवस 21 वर्षों बाद इतना ठंडा रहा। 26 जनवरी, 2021 को दिल्ली के सफदरजंग मौसम केंद्र पर न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया जो सामान्य से लगभग 6 डिग्री कम है। यही हालात उत्तर भारत के अनगिनत शहरों के रहे। इसमें पंजाब के ज्यादातर शहर शामिल हैं, हरियाणा के अधिकांश शहर शामिल हैं। राजस्थान में भी भीषण सर्दी लोगों को झेलनी पड़ रही है।
उत्तर भारत के मैदानी शहरों के अलावा मध्य प्रदेश के ज्यादाता हिस्सों और गुजरात के कच्छ तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों यहां तक कि सौराष्ट्र में भी तापमान में गिरावट हुई है। उत्तर प्रदेश में पश्चिम से लेकर पूर्व तक तापमान तापमान नीचे जा रहा है जिसके कारण इन भागों में शीतलहर जैसे हालात बने हुए हैं। बिहार में भी बढ़ी सर्दी ने सामान्य जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा है। साथ ही साथ हवाओं की रफ्तार समूचे उत्तर पश्चिम भारत से लेकर गंगा के मैदानी क्षेत्रों तक बहुत ज्यादा तेज नहीं है जिसके चलते मध्यम से घना कोहरा भी सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर रहा है और कोहरे के कारण दिन का तापमान भी समूचे गंगा के मैदानी क्षेत्रों में सामान्य से नीचे रिकॉर्ड किया जा रहा है।
बिहार में कई शहर ऐसे हैं जहां अधिकतम तापमान सामान्य से 4 से 6 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया जा रहा है और यही हालात उत्तर प्रदेश में भी बने हुए हैं। पंजाब, हरियाणा के तराई क्षेत्रों में भी घना कोहरा अपना असर दिखा रहा है। जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पंजाब, हरियाणा के दक्षिणी इलाकों में कोहरे का असर ज्यादा नहीं है। राजस्थान के उत्तरी भागों को छोड़कर शेष हिस्सों में कोहरा नहीं हो रहा है।
वर्तमान मौसमी स्थितियों को देखते हुए हमारा अनुमान है कि कम से कम 31 जनवरी तक उत्तर भारत के पहाड़ों पर कोई पश्चिमी विक्षोभ नहीं आएगा जिससे हवाओं के रुख में विशेष बदलाव की संभावना फिलहाल नहीं है। इसके चलते इन तमाम क्षेत्रों में मध्यम से घना कोहरा इसी तरह बना रहेगा और तापमान भी सामान्य से नीचे रहेगा जिससे भीषण सर्दी का सामना जनवरी के आखिर तक उपर्युक्त सभी राज्यों में लोगों को करना पड़ेगा।
स्काइमेट के मौसमी विश्लेषण के अनुसार 1 फरवरी के आसपास एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के पहाड़ों पर दस्तक दे सकता है जिसके चलते उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों से आने वाली सर्द हवाओं की रफ्तार मंद पड़ जाएगी। पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी 1 से 3 फरवरी के बीच होगी। आगामी बारिश के स्पेल में मैदानी क्षेत्रों में बारिश की संभावना फिलहाल नहीं है। हालांकि इस पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवाओं की रफ्तार मंद हो जाएगी जिससे दिल्ली सहित मैदानी राज्यों में लोगों को कड़ाके की ठंड से कुछ राहत अवश्य मिल जाएगी।
Image credit: Jhalak
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