उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी जारी है। बीते 10 दिनों से उत्तर से आने वाली ठंडी हवाएँ अपना असर दिखा रही हैं और पारा सामान्य से नीचे बना हुआ है। शीतलहर का शिकंजा पंजाब से लेकर हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई शहरों पर दिखाई दे रहा है। सामान्य से नीचे तापमान इसलिए आगे भी बना रहेगा क्योंकि ठंडी हवाएँ पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी दिशा से आने वाले दिनों में भी चलती रहेंगी।
उत्तर भारत के कुछ श्हरों में पाला भी पड़ रहा है। स्काईमेट के मौसम विशेषज्ञों का आकलन है कि पंजाब और हरियाणा के उत्तरी इलाकों तथा उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में आने वाले दिनों में भी सामान्य से नीचे चल रहे तापमान के कारण पाला पड़ सकता है। कोहरा भी कुछ हिस्सों में घना होगा जिससे पाला पड़ने की संभावना और बढ़ जाएगी। यह मौसम गेहूं, चना, मटर, सारसो, आलू सहित कई फसलों के लिए हानिकारक हो सकती है।
कोहरे का प्रभाव उत्तर प्रदेश और बिहार पर सबसे अधिक रहेगा। इन भागों में पश्चिमी दिशा से ठंडी हवाएँ अगले तीन-चार दिनों तक चलती रहेंगी। लेकिन हवा की रफ्तार कम होने के कारण कोहरा छँटेगा नहीं और हवा में ठंडक होने के कारण तापमान में भी वृद्धि देखने को नहीं मिलेगी। लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, पटना, गया, भागलपुर में पारा सामान्य से नीचे ही रहेगा।
इस बीच 26 दिसम्बर के आसपास जम्मू कश्मीर के पास एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ आने वाला है जिससे 28 दिसम्बर तक उत्तर भारत में मौसम के सक्रिय होने की संभावना है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से मैदानी इलाकों पर भी एक सर्कुलेशन विकसित हो सकता है। अनुमान है कि 26 और 27 दिसम्बर को जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर वर्षा तथा बर्फबारी हो सकती है।
बर्फबारी का नज़ारा गुलमर्ग, कुलगाम, पहलगाम, श्रीनगर, लाहौल स्पीति, शिमला, ऊना, धर्मशाला, बद्रीनाथ, केदारनाथ, चमोली जैसे कई हिल स्टेशनों पर मिल सकता है। लेकिन ध्यान रहे कि भारी हिमपात के कारण कुछ पहाड़ी क्षेत्रों में हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएँ भी होती हैं। साथ ही सड़कों पर भारी बर्फ जमा होने के कारण रास्ते बंद हो जाते है। यानि आवागमन बाधित हो जाता है पहाड़ों के नजदीक वाले क्षेत्रों में चुनौती बढ़ जाती है।
Image credit: The News Now
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