[Hindi] जलवायु परिवर्तन: ख़तरे में सिंगापुर के समुद्र तटीय इलाके, सुरक्षा के लिए खर्च होंगे 72 बिलियन डॉलर

August 19, 2019 3:46 PM | Skymet Weather Team

जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों से अब दुनिया के लगभग सभी देश दो-चार हो रहे हैं। भारत सहित दक्षिण एशियाई देश भी जलवायु परिवर्तन से अछूते नहीं रहे हैं। प्राकृतिक आपदा जहां कुछ हिस्सों में ही नुकसान पहुँचती है वहीं सामान्य से काफी अधिक तापमान और बारिश में असंतुलन के चलते ज़्यादातर हिस्से प्रभावित हो रहे हैं।

पिछले चार-पाँच वर्षों से भारत में भी तापमान में बेतहासा वृद्धि हो रही है। यही नहीं मॉनसून की चाल भी बिगड़ रही है। जहां कई स्थानों पर बाढ़ कहर बन रही है तो कुछ हिस्सों में सूखे का संकट सभी को प्रभावित कर रहा है।

जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी चुनौती ग्लेशियर पिघलने और समुद्र के जलस्तर में वृद्धि होने के चलते देखने को मिल रही है। समुद्र के किनारों पर बसे देशों में चिंता बढ़ रही है। खासकर समुद्र तटों पर बसे शहरों के डूबने की आशंका है।

सिंगापुर में तटों पर बनेगा सुरक्षा घेरा

हाल ही में सिंगापुर में इस मामले को गंभीरता से लिया गया है। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने रविवार को कहा कि सिंगापुर को समुद्र के बढ़ते जल स्‍तर से बचाने के लिए तटों पर सुरक्षा घेरे का निर्माण किया जाएगा जिसके लिए 72 अरब अमरीकी डॉलर की आवश्‍यकता होगी। उन्‍होंने कहा कि मानवता के समक्ष आज सबसे बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन की है और दक्षिण एशियाई देश बेहद गर्म मौसम और भीषण बारिश के रूप में पहले से ही चुनौती का सामना कर रहे हैं।

ली ने सिंगापुर के जलवायु शोध संस्‍थान के एक अध्‍ययन का जिक्र किया। इस अध्ययन में कहा गया है कि सिंगापुर के लिए जलवायु परिवर्तन पर मौसम से जुड़े मॉडल जितना खतरा दिखा रहे हैं, सिंगापुर के लिए चुनौती उससे कहीं अधिक है क्‍योंकि यह भूमध्‍य रेखा के करीब है। उन्‍होंने कहा कि तटीय किनारों पर सुरक्षा दीवार के निर्माण में अगले 100 वर्ष में 72 अरब डॉलर की लागत आएगी।

सिंगापुर के प्रधानमंत्री की अगर मानें तो चूंकि यह समस्या 50 से 100 वर्षों की समस्‍या है इसलिए इसका समाधान भी लंबे समय को ध्यान में रखकर किया जाएगा। उनका कहना है कि वे  50 से 100 साल का समाधान क्रि‍यान्वित करना चाहते हैं।

जलवायु परिवर्तन का असर अन्य एशियाई देशों पर भी

स्काइमेट का मानना है कि दक्षिण एशिया में सिर्फ सिंगापुर ही नहीं बांग्लादेश, म्यांमार, भारत के निचले सीमावर्ती क्षेत्र भी प्रभावित हो सकते हैं। कुछ छोटे द्वीप भी समुद्री जल में अगले 4-5 दशकों में समाहित हो सकते हैं। लेकिन इसमें से सिंगापुर ने ख़तरे को भाँप लिया है और तैयारी शुरू कर दी है। बाकी देश अभी इस ख़तरे की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं।

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