भारत के पश्चिमी राज्यों में टिड्डियों के हमले ने चिंता बढ़ा दी है। खासतौर पर प्रभावित हुए हैं गुजरात और राजस्थान। इन दोनों राज्यों में तकरीबन 1.7 लाख हेक्टेयर की फसल को नुकसान पहुंचा है। पंजाब और हरियाणा में भी कुछ स्थानों पर टिड्डियों का समूह देखा गया है। हालांकि इन दोनों राज्यों में फसलों के नुकसान की खबर फिलहाल नहीं है।
विशेषज्ञ टिड्डी हमले के पीछे जलवायु परिवर्तन और समुद्री तूफानों को जिम्मेदार मान रहे हैं। रेगिस्तानी इलाकों के टिड्डियों पर अध्ययन करने वाले विशेषज्ञ की मानें तो 2018 की गर्मियों में चक्रवाती तूफान मेकुनु ने मध्य पूर्व में लैंडफॉल किया था। इसके चलते सऊदी अरब, ओमान, संयुक्त अरब अमारात और यमन में अच्छी बारिश हुई थी और खुले इलाकों में पानी इकठ्ठा हो गया था। इस पानी ने टिड्डियों को विशाल संख्या में पनपने का मौका दिया।
English version: Climate Change, Cyclones, indirect cause of locust outbreak in Rajasthan, Gujarat
वर्ष 2018 में ही एक और तूफान आया जिसे लूबान नाम दिया गया था। तूफान लूबान ने अरबी प्रायद्वीप को प्रभावित किया जिससे टिड्डियों के प्रजनन के लिए और अच्छा वातावरण बन गया।
मध्य पूर्व के इन्हीं टिड्डियों ने खाने की तलाश में पाकिस्तान और भारत का रूख किया। भारत और पाकिस्तान में टिड्डियों का हमला कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार पाकिस्तान के कई इलाकों और राजस्थान तथा गुजरात के पश्चिमी भागों में महामारी की तरह आए। पाकिस्तान को टिड्डियों के हमले के चलते राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करनी पड़ी। मध्य पूर्व से आने वाले टिड्डियों का एक अन्य समूह अफ्रीका की तरफ गया जिससे वहाँ भी लोगों के लिए चिंता बढ़ गई है।
राजस्थान में आमतौर पर नवंबर महीने में टिड्डियों का हमला देखने को मिलता है लेकिन इस बार राजस्थान के पश्चिमी इलाकों में बेमौसम बरसात ने टिड्डियों की संख्या में वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण बना दिया जिससे पश्चिमी इलाका प्रभावित हो रहा है। रेगिस्तानी इलाके में बारिश बदलती जलवायु का ही नतीजा है। यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि रेगिस्तान में टिड्डियों को खाने वाली छिपकलियों की संख्या में कमी आई है।
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