जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में आमतौर पर नवंबर की शुरुआत में ऊंची पहाड़ियों पर हल्की बर्फबारी की गतिविधियां शुरू हो जाती हैं। लेकिन इस बार संयोग से बीते लंबे समय से पहाड़ों पर न तो बारिश हुई है और ना ही अब तक बर्फबारी का आगाज हुआ। बारिश न होने या बर्फबारी ना होने से अगर आप सोचेंगे पहाड़ों पर सर्दी भी शुरू नहीं हुई तो यह गलत है क्योंकि ऊंचे पहाड़ों पर कुछ इलाके ऐसे हैं जहां पारा शून्य से भी नीचे चला गया है और कड़ाके की ठंड ने दस्तक दे दी है।
इस शीत ऋतु में अब तक कोई सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में नहीं आया जिसके चलते बारिश या बर्फबारी नहीं हुई और इन भागों में मौसम शुष्क बना हुआ है। यही नहीं वर्तमान मौसमी परिदृश्य भी शुष्क और साफ मौसम के अनुकूल दिखाई दे रहा है क्योंकि जल्द किसी सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के उत्तर भारत में आने के संकेत नहीं हैं।
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उत्तर भारत में स्थित खूबसूरत पहाड़ी वादियों में इस पूरे सप्ताह मौसम शुष्क और साफ बना रहेगा। चमकती धूप के साथ दिन आरामदायक होगा। जबकि न्यूनतम तापमान गिरने से रात और सुबह के समय कड़ाके की ठंड महसूस की जाएगी। पर्यटकों के लिए अगले एक सप्ताह तक मौसम खुशगवार बना रहेगा बशर्ते आप बर्फबारी आपको नहीं देखनी। कड़ाके की ठंड, शुष्क मौसम और दिन में उजली धूप के बीच खूबसूरत वादियों को निहारने के लिए यह बिल्कुल सही समय है। बर्फबारी का आनंद लेने वालों के लिए अभी इंतज़ार करना होगा।
फिलहाल जब तक बर्फबारी नहीं होती तब तक पहाड़ों पर मौसम अनुकूल है क्योंकि ना तो रास्ते में कोई रुकावट होगी ना कहीं भूस्खलन होगा और ना ही भारी बर्फबारी से राजमार्ग या अन्य सड़कें बंद होंगी। गुलमर्ग, मनाली, शिमला, नैनीताल, मसूरी, कुल्लू, मैक्लिओडगंज, लेह, श्रीनगर, धर्मशाला और कसौली सहित आसपास के सभी खूबसूरत पहाड़ी इलाकों में इस समय आप बेहिचक जा सकते हैं।
पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होते ही हिमस्खलन और भूस्खलन की आशंका भी रहती है। इसके अलावा भारी बर्फबारी से भी रास्ते बंद हो जाते हैं जिससे पहाड़ों पर आवागमन बाधित होता है। नवंबर के मध्य से अनुमान है कि सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत के करीब आ सकते हैं जिसके चलते न सिर्फ बारिश और बर्फबारी शुरू होगी बल्कि तापमान में व्यापक गिरावट से हाड़ कंपाने वाली ठंड देखने को मिल सकती है।
Image credit: Aahvanadventures
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