छत्तीसगढ़ राज्य का उदय वर्ष 2000 में 1 नवंबर को हुआ था। 1 नवंबर 2000 को मध्य प्रदेश के पूर्वी और दक्षिण पूर्वी भागों को एक अलग राज्य के रूप में मान्यता दी गई। इसी दिन बिहार से अलग झारखंड और उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य का भी गठन हुआ। राज्य के अधिकांश इलाके जैसे बिलासपुर, जगदलपुर, रायपुर के लोगों का मानना था कि उनके इलाके मध्य प्रदेश की मुख्य धारा से अलग हैं और सुदूरवर्ती होने के कारण उनका विकास अपेक्षा के अनुरूप नहींहो रहा है।
पृथक राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में आने वाले क्षेत्रों का विकास अपेक्षाकृत अधिक गति से हुआ। राज्य के विकास दर आंकड़ों में अगर देखें तो वर्ष 2002-2008 के दौरान जहां समग्र भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.1% था वहीं राज्य ने तेज़ी से विकास करते हुये अपने सकल घरेलू उत्पाद को इसी अवधि के दौरान 8.2% पर पहुंचा दिया था। हालांकि देश के मुक़ाबले छत्तीसगढ़ की प्रति व्यक्ति आय अभी काफी कम है।
कृषि प्रमुख राज्य छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। राज्य बारिश के लिए दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पर निर्भर है। मॉनसून के दौरान जून से अक्टूबर माह के बीच राज्य में औसतन 1292 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जाती है। इस बार मॉनसून का प्रदर्शन पूरे देश में अच्छा नहीं रहा है। देश के मध्य और पूर्वी भागों पर स्थित इस राज्य में भी मॉनसून कमजोर रहा और औसत के 1292 मिलीमीटर से 12% कम 1009.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। अक्टूबर में औसतन 65 मिमी वर्षा होती है जबकि इस दौरान भी राज्य में 72% कम मात्र 18 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई।
बारिश की कमी के चलते देश के अन्य भागों की भांति राज्य के कृषि पर भी संकट है। 1 नवंबर 2015 को सम्पन्न हुए राज्य स्थापना दिवस में इसी संकट को मद्देनजर रखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्य में सूखे जैसे हालत हैं और केंद्र सरकार इस बारे में राज्य सरकार के संपर्क में है। सहायता के तौर पर राज्य के लगभग 22 लाख किसानों को प्रति किसान के हिसाब से एक क्विंटल बीज मुफ्त में दिया जाएगा। किसानों को बिजली की और आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। सरगुज़ा के किसान सूखे के साथ-साथ ओलावृष्टि की मार भी झेल रहे है। स्थापना दिवस पर बोलते हुये मुख्यमंत्री डॉ॰ रमन सिंह ने कहा कि ओला प्रभावित किसानों को मुआवजा 10 दिनों के भीतर दिया जाएगा।
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