इस प्री-मॉनसून सीज़न के दौरान मध्य भारत के तीन क्षेत्रों यानी विदर्भ, छत्तीसगढ़ और दक्षिण-पूर्वी मध्य प्रदेश में अच्छी बारिश नहीं हुई है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो फिर भी रुक-रुक कर बारिश की गतिविधियां हुई है। लेकिन, विदर्भ के क्षेत्रों को निराशा हुई है और यहाँ वर्षा की कमी बनी हुई है।
बात अगर महाराष्ट्र की बात करें तो इसमें विदर्भ क्षेत्र बेहतर रहा बनिस्पत मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और कोंकण-गोवा क्षेत्र के क्योंकि इन भागों में मार्च में बिलकुल भी बारिश नहीं दिखी है। मौसम लंबे समय से शुष्क बना हुआ है।
स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मध्य भारत के भागों पर 21 मार्च को एक कोन्फ़्लुएन्स जोन विकसित हो रहा है। जो छत्तीसगढ़, दक्षिण-पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ को प्रभावित करेगा।
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इस मौसम सिस्टम की वजह से 21 और 22 मार्च को छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी भागों और इससे सटे विदर्भ और आसपास के हिस्सों में गरज के साथ बारिश होगी। इसके बाद यह कोन्फ़्लुएन्स जोन दूर चला जायेगा जिससे इन क्षेत्रों में मौसम फिर से शुष्क हो जाएगा।
इन क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता हल्की से मध्यम हो सकती है। बारिश के साथ बादलों की गर्जना होने और तेज हवाएं चलने के भी आसार हैं। हालांकि इस दौरान, भारी बारिश और ओलावृष्टि की आशंका नहीं है। इसलिए इस बारिश से फसलों को बड़े नुकसान की आशंका फिलहाल नहीं है।
मध्य भारत के अधिकांश हिस्सों में 23 मार्च से फिर से मौसम शुष्क हो जाएगा। जिसकी वजह से अधिकतम तापमान में वृद्धि और न्यूनतम तापमान में गिरावट देखी जाएगी।
Image Credit: oneindia
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